कांग्रेस प्रत्याशी की बढ़ी मुश्किल, उनके ही समाज के स्थानीय नेताओं ने किया विरोध

Congress candidate devendra yadav: कांग्रेस के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता ही चुनौती खड़े कर रहे हैं। सूबे के महत्वपूर्ण लोकसभा सीट बिलासपुर में कुछ ऐसा ही हाल है। चुनावी समर के बीच प्रत्याशी के नाम पर फिर घमासान शुरू हो गया है।

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  • Publish Date - April 16, 2024 / 07:16 PM IST,
    Updated On - April 16, 2024 / 07:16 PM IST

Congress candidate devendra yadav: बिलासपुर। लोकसभा चुनाव का सियासी संग्राम जारी है। पार्टियां चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं। लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस का टेंशन कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस की चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता ही चुनौती खड़े कर रहे हैं। सूबे के महत्वपूर्ण लोकसभा सीट बिलासपुर में कुछ ऐसा ही हाल है। चुनावी समर के बीच प्रत्याशी के नाम पर फिर घमासान शुरू हो गया है।

दरअसल, प्रत्याशी देवेंद्र यादव के खिलाफ अब समाज के ही कांग्रेसी नेता लामबंद हो गए हैं। घोषित प्रत्याशी बदलने और समाज के स्थानीय नेता को प्रत्याशी बनाने की मांग उठ रही है। चुनावी समर के बीच कांग्रेस के भीतर मचे इस घमासान से सियासत गरम है। सियासी समीकरणों के लिहाज से यादव समाज की नाराजगी कांग्रेस के लिए नई चुनौती खड़े कर रही है।

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Congress candidate devendra yadav: कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी के खिलाफ यादव समाज के कांग्रेस नेता विष्णु यादव लामबंद हो गए हैं। नामांकन फॉर्म लेकर उन्होंने सीधे तौर पर इसका संदेश भी पार्टी को दे दिया है। उनका कहना है, बिलासपुर लोस में बाहरी प्रत्याशी यादव समाज और बिलासपुर वासियों को स्वीकार नहीं है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने बाहरी को कांग्रेस से टिकट देकर स्थानीय यादव समाज के साथ अन्याय किया है।

इधर, बिलासपुर लोस से देवेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस ये मान रही थी कि, इसके साथ उन्होंने यादव समाज को साध लिया है और भाजपा के लिए चुनौती खड़े कर दिया है। हालांकि, अब नेताओं के बगावती सुर के साथ कांग्रेस का ये दांव कांग्रेस पर ही भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। चुनावी समर के बीच सियासत गरमा गई है।

बीजेपी इसे कांग्रेस के अंतर्कलह से जोड़ रही है। भाजपा का कहना है, बिलासपुर लोस में कांग्रेस की लड़ाई भाजपा से नहीं बल्कि कांग्रेस से ही है। कांग्रेस अपने आपसी लड़ाई में ही चुनाव हार रही है। हालंकि, कांग्रेस इसे अपने कार्यकर्ताओं की भावना से जोड़ रही है।

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वहीं कांग्रेस पदाधिकारियों का कहना है, कार्यकर्ताओं और नेताओं को उम्मीद रहती है कि उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिले। इस उम्मीद में वे टिकट की मांग करते हैं। पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है, ऐसे में बी फॉर्म के साथ पार्टी का अंतिम निर्णय जो होगा वो सबको स्वीकार होगा।

बहरहाल, चुनावी समर के बीच बिलासपुर लोस में कांग्रेसी ही कांग्रेस के लिए चुनौती बने हुए हैं। देखना होगा आगामी दिनों में ये चुनौती और बढ़ती है या फिर कांग्रेस डैमेज कंट्रोल करने में कामयाब होती है।