रायपुरः चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक ऐसा अपराध जो बच्चों को ऐसी अंधेरी दुनिया में धकेल देता है। जहां से बच्चों का निकल पाना नामुमकिन सा हो जाता है। एक ऐसा अपराध जो हमारे समाज पर बदनुमा दाग है। इस अपराध के खिलाफ पूरी दुनिया में सख्त से सख्त कानून बनाए गए हैं, बावजूद इसके इस घिनौने और काले कारोबार से जुड़े लोग बाज नहीं आते। अब तो सोशल मीडिया इनके लिए बेहद आसान जरिया भी बन चुका है। CBI ने ऐसी ही एक इंटरनेशनल रैकेट का पर्दाफाश किया, जो सोशल मीडिया के जरिये चाइल्ड पोर्नोग्राफी में जुटा हुआ था। इसका नेटवर्क केवल भारत ही नहीं बल्कि 100 देशों तक फैला है। CBI के छापों के बाद अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। उन तमाम सवाल पर अगले 1 घंटे तक चर्चा करेंगे।
ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न मामले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 14 राज्यों और कई केंद्र शासित प्रदेशों के 77 शहरों में ताबड़तोड़ छापे मारे और 83 लोगों के खिलाफ कुल 23 मामले दर्ज किए हैं। जिन राज्यों में CBI ने छापा मारा उनमें आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश शामिल है। सीबीआई ने जिन लोगों पर कार्रवाई की है, उनपर आरोप है कि वो भारत समेत दूसरे देशों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री की लिंक, वीडियो और फोटो भेज रहे थे। जानकारी के मुताबिक 50 से अधिक ग्रुप्स में 5 हजार लोग बाल शोषण सामग्री का आदान-प्रदान जारी था। इन ग्रुप्स में कई विदेशी लोगों के जुड़ने की भी खबर है।
दरअसल देश के अलग-अलग इलाकों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चों के अश्लील वीडियो बनाने और उन्हें शेयर करने के मामले में CBI को लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इस घिनौने कारोबार में शामिल आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाने और उनकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई ने मंगलवार को पूरे देश में एक साथ छापामारी की। ओडिशा के ढेंकनाल में रेड मारने पहुंची CBI की टीम पर हमला भी हुआ।
वैसे NCRB के आंकड़े बताते हैं कि.. देशभर में बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम 2019 की तुलना में 2020 में 400% से ज्यादा बढ़े हैं..और इनमें सबसे ज्यादा मामले चाइल्ड पोर्नोग्राफी से ही जुड़े हैं। पोर्नोग्राफी के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में 161, महाराष्ट्र में 123, कर्नाटक में 122 और केरल में 101 दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा ओडिशा में 71, तमिलनाडु में 28, असम में 21, मध्यप्रदेश में 20, हिमाचल प्रदेश में 17, हरियाणा में 16, आंध्रप्रदेश में 15, पंजाब में 8, राजस्थान में 6 केस सामने आए थे। बात करें रायपुर जिले की तो 2021 में अब तक 36 मामले दर्ज हुए हैं।
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जाहिर तौर पर आंकड़े ये साफ कर रहे हैं कि देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का मामला चिंताजनक हो चुका है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित ने एक कार्यक्रम में कहा था कि सिर्फ बाल तस्करी और बाल शोषण ही नहीं, चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। हालांकि देश में आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी कानूनन अपराध है। इसके तहत पहली बार अपराध करने पर पांच साल जेल और दस लाख का जुर्माना है। वहीं दूसरी बार करने पर दस लाख के जुर्माने के साथ 7 साल जेल की सजा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कानून का खौफ ऐसे अपराधियों पर नहीं है? व्हाट्सएप पर इतना बड़ा रैकेट चल रहा था। ऐसे में राज्यों की पुलिस को इसकी जानकारी क्यों नहीं मिली और सबसे बड़ा सवाल ये कि पोर्न बाजार के जाल से बच्चों को कैसे बचाएं ?
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क्योंकि कोरोना काल में बच्चे पढ़ाई के लिए इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिता रहे हैं और जानकारी के अभाव में साइबर अपराधियों के शिकार बन रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि तकनीकी रुप से ज्यादातर मामले में पैरेंट्स भी इतने सक्षम नहीं होते कि वो बच्चों को साइबर अपराधियों के चंगुल से बचा सकें।