Electricty from cowdung in Chhattisgarh
रायपुर: छत्तीसगढ़ के गांव अब आने वाले दिनों में गोबर से बनी बिजली से जगमगाएंगे। सरकार ने गोबर से बिजली पैदा करने के लिए गौठानों में बायोगैस प्लांट, स्क्रबर और जनसेट स्थापित किए हैं। गोबर से पैदा होने वाली बिजली की लागत प्रति यूनिट ढाई से 3 रुपए तक है। साथ ही बॉयोगैस प्लांट में उपयोग के बाद भी गोबर जैविक खाद में बदल जाता है। यानी गौठान समितियों और महिला समूहों को इससे दोहरा लाभ मिलेगा।
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छत्तीसगढ़ की किस्मत भी जगमगाने वाली है। जी हां, यहां गोबर से बिजली बनाई जा रही है। जिससे अब छत्तीसगढ़ के गांव रोशन होने वाले हैं। इसके लिए गौठानों में बायोगैस प्लांट, स्क्रबर और जेनसैट स्थापित किए जाएंगे। गोबर से बिजली उत्पादन पर प्रति यूनिट लागत ढाई से 3 रुपए तक लागत आएगी। गोबर से पहले बिजली बनाई जाएगी, फिर बचे हुए गोबर से जैविक खाद भी मिलेगा। यानी गौठान समितियों और महिला समूहों को दोहरा लाभ मिलेगा। गोबर और पानी डालकर बायोगैस बनाई जाएगी। प्रदेश के ऐसे गौठान, जहां ज्यादा गोबर की आवक है, वहां बॉयोगैस प्लांट लगाए जाएंगे। बॉयोगैस प्लांट के साथ ही जेनसैट स्थापित किए जाएंगे। यहां 50 फीसदी मीथेन गैस से बिजली बनाई जाएगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक 25 किलो गोबर और पानी से 1000 लीटर बॉयोगैस तैयार होगा। 1000 लीटर बॉयोगैस से 2 केव्ही बिजली बनेगी। यानी 250 किलो गोबर-पानी से तैयार होगी मीथेन गैस और 10 केव्ही बिजली से 8 से 10 घंटे तक 15 एलईडी बल्ब जलेगी। रेन्यूएबल एनर्जी की मार्केट वैल्यू 8 से 10 रुपया प्रति यूनिट होगी।
छत्तीसगढ़ के गांवों में सुराजी गांव योजना का असर दिख रहा है। पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए योजना चल रही है। जिसके तहत 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण को मंजूरी मिल चुकी है। छत्तीसगढ़ में 6112 गौठान पूरी तरह बनकर संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही गोधन न्याय योजना से दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी की जा रही है। अब तक 51 लाख क्विंटल से ज्यादा गोबर की खरीदी की जा चुकी है। गोबर से जैविक खाद समेत अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं। गोबर के बदले ग्रामीणों और पशुपालकों को 102 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। वहीं अब तक 12 लाख क्विंटल से ज्यादा वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा चुका है। कुल मिलाकर गाय, गोबर और गौठान से बदल रही छत्तीसगढ़ की तस्वीर अब गोबर से बिजली बनने के बाद और भी रोशन होगी।