छग पुलिस के DGP अशोक जुनेजा का कार्यकाल बढ़ा, राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने दी मंजूरी |

छग पुलिस के DGP अशोक जुनेजा का कार्यकाल बढ़ा, राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने दी मंजूरी

Chhattisgarh Police DGP Ashok Juneja extended: बता दें कि छत्तीसगढ़ के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी जुनेजा चार अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन उससे पहले राज्य सरकार ने उनके सेवा कार्यकाल को छह महीने बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था।

Edited By :   Modified Date:  August 3, 2024 / 10:54 PM IST, Published Date : August 3, 2024/10:54 pm IST

रायपुर। Chhattisgarh Police DGP Ashok Juneja extended छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। वे अब फ़रवरी 2025 तक पद पर बने रहेंगे। DGP अशोक जुनेजा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर अपॉइंटमेंट कमिटी ऑफ़ कैबिनेट ने छह माह के एक्सटेंशन पर मुहर लगा दी है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी जुनेजा चार अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन उससे पहले राज्य सरकार ने उनके सेवा कार्यकाल को छह महीने बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था।

अशोक जुनेजा सरल, सहज और गंभीरता से अपने काम के लिए पहचाने जाते हैं। सेंट्रल डेपुटेशन पर भी काम करने का अच्छा खासा तर्जुबा है। रमन सरकार में इंटेलिजेंस चीफ के रूप में भी काम संभाल चुके हैं। बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर में एसपी के रूप में जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। गृह सचिव के रूप में भी उन्होंने कार्यभार संभाला है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, खेल संचालक की हैसियत से भी जुनेजा काम कर चुके हैं। पुलिस मुख्यालय में रहते हुए उन्होंने सशस्त्र बल, एडमिनिस्ट्रेशन, ट्रेनिंग जैसी जिम्मेदारी निभाई है। सेंट्रल डेपुटेशन के दौरान जुनेजा नारकोटिक्स में काम कर चुके हैं। साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान उन्होंने सुरक्षा प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली है।

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एक्सटेंशन की वजह क्या?

डीजीपी अशोक जुनेजा के रिटायर होने के बाद उनकी सेवा वृद्धि किए जाने के पीछे कई वजह गिनाई जा रही है। राज्य में भाजपा सरकार के काबिज होने के बाद से नक्सल मोर्चे पर मिल रही सफलता एक बड़ी वजह हो सकती है। बीते छह महीने में करीब डेढ़ सौ नक्सली मारे जा चुके हैं। बड़ी तादाद में नक्सलियों ने सरेंडर किया है। अर्धसैनिक बलों के साथ राज्य पुलिस के बीच समन्वय का असर है कि नक्सल मोर्चे पर पहली बार बड़ी सफलता मिल रही है। साय सरकार नक्सलवाद के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए है। कहा जा रहा है कि डीजीपी बदलने से समन्वय में किसी तरह की संभावित अनदेखी पर सरकार कोई रिस्क उठाना नहीं चाहती थी।

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