Holi 2025 Special Story: इस घटना ने बदल दी परंपरा.. दो दिन पहले ही होली का त्योहार मनाने लगे यहां के लोग, रहस्यमय कहानी जान आप भी हो जाएंगे हैरान

एक हफ्ते पहले ही होली का त्योहार मनाने लगे यहां के लोग...Holi 2025 Special Story: This incident changed the tradition.. People here started

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  • Publish Date - March 12, 2025 / 02:28 PM IST,
    Updated On - March 12, 2025 / 02:28 PM IST
Holi 2025 Special Story | Image Source | IBC24

Holi 2025 Special Story | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • सूरजपुर के गांवों में अनोखी परंपरा
  • होली से पहले ही होली का उत्सव
  • गांववाले अनहोनी और विपत्तियों से बचने के लिए निभाते हैं परंपरा

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सूरजपुर: Holi 2025 Special Story: होली पूरे देश में हिंदू पंचांग के अनुसार 14 मार्च को मनाई जाएगी, लेकिन छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के कुछ गांवों में यह पर्व दो दिन पहले ही मना लिया जाता है। यह अनोखी परंपरा बिहारपुर-चांदनी क्षेत्र के महुली, कछवारी, मोहरसोप और बेदमी गांवों में वर्षों से चली आ रही है।

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क्यों मनाते हैं पहले होली?

Holi 2025 Special Story: स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, गांववाले अनहोनी और विपत्तियों से बचने के लिए होलिका दहन की तिथि से दो दिन पहले ही होली मनाते हैं। गांव में स्थित गढ़वतिया पहाड़ पर मां अष्टभुजी देवी का प्राचीन मंदिर है जहां श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। मान्यता है कि 1960 के दशक में गांव के लोग होलिका दहन के लिए लकड़ियां इकट्ठा करते थे लेकिन एक साल होलिका दहन की तिथि से पांच दिन पहले ही लकड़ियों के ढेर में अचानक आग लग गई। इसे देवी मां का संकेत मानते हुए गांववालों ने तय किया कि अब से होली दो दिन पहले ही मनाई जाएगी। तब से यह परंपरा लगातार चली आ रही है।

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कैसे मनाते हैं यह अनोखी होली?

Holi 2025 Special Story: गांवों में पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार पहले होलिका दहन किया जाता है। रंग-गुलाल के साथ पहले ही दिन से उत्सव की शुरुआत हो जाती है। देवी मां अष्टभुजी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गांव के लोग इस अवसर पर भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस परंपरा के चलते उनके गांव में कोई बड़ी विपत्ति नहीं आई और मां अष्टभुजी देवी की कृपा बनी रहती है। इसी कारण हर साल यह अनोखी होली पूरे उत्साह के साथ मनाई जाती है।

 

"सूरजपुर जिले में होली पहले क्यों मनाई जाती है?"

यहां की परंपरा के अनुसार, 1960 के दशक में देवी मां के चमत्कार के बाद यह मान्यता बनी कि होली दो दिन पहले मनाने से अनहोनी से बचाव होता है।

"किन गांवों में होली पहले मनाई जाती है?"

बिहारपुर-चांदनी इलाके के महुली, कछवारी, मोहरसोप और बेदमी गांवों में यह परंपरा निभाई जाती है।

"गढ़वतिया पहाड़ और मां अष्टभुजी देवी का क्या महत्व है?"

यह मंदिर सूरजपुर जिले में स्थित है, और स्थानीय लोग इसे अपनी रक्षक देवी मानते हैं। होली से जुड़ी परंपरा भी इसी मंदिर से संबंधित है।

"क्या सूरजपुर जिले में बाकी जगह भी होली पहले मनाई जाती है?"

नहीं, यह परंपरा सिर्फ कुछ खास गांवों में निभाई जाती है। बाकी जिले में पंचांग के अनुसार 14 मार्च को ही होली मनाई जाएगी।

"क्या इस परंपरा में बदलाव किया जा सकता है?"

स्थानीय लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि वे इस परंपरा को पीढ़ियों से निभा रहे हैं और इसमें बदलाव की कोई संभावना नहीं दिखती।