महासमुंद: shortage of teachers in Mahasamund district शिक्षा सत्र शुरु होते ही शिक्षकों की मांग लेकर पालक ,बच्चें कलेक्टर कार्यालय , जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय का चक्कर लगाना शुरु कर देते हैं और जब यहाँ उनकी मांग पूरी नही होती है तो सीएम कार्यालय पहुंच जाते। शिक्षक की मांग करने पर शिक्षा विभाग ऐसा है कि वर्षो से शिक्षकों की पूर्ति नहीं कर पा रहा हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो शिक्षा का स्तर क्या होगा ?
shortage of teachers in Mahasamund district जी हां , आज हम आप को महासमुंद जिले के तीन अलग – अलग स्कूलो का हाल बताते है, जहां शिक्षक की कमी के कारण बच्चों की पढाई प्रभावित हो रही और पालक अपने बच्चे का भविष्य संवारने के लिए सी एम , कलेक्टर , जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे है । ताजा मामला जिले के हाईस्कूल अमलोर का है जहां 108 बच्चे अध्ययनरत है और इनको पढ़ाने के लिए एक शिक्षक है।
पालक 6 वर्षो से शिक्षक की मांग कर रहे हैं पर इन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला । आखिर पालकों ने बस किराया कर बच्चों को लेकर सी एम कार्यालय पहुंच गये। उसके बाद वहाँ से वापस आकर जिला शिक्षा अधिकारी के टेबल पर अपनी पुस्तकें रखकर वापस चले गये । दूसरा मामला सरायपाली के दूरस्त गांव पतेरापाली का है जहां कक्षा पहली से पांचवी तक के 27 बच्चे है पर इन्हें पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है।
shortage of teachers in Mahasamund district पालक अब कलेक्टर से शिक्षक देने की फरियाद कर रहे हैं । तीसरा मामला तेन्दूवाही का है जहां प्राथमिक शाला में 56 बच्चे पहली से पांचवीं तक की पढाई करते है और इन्हें पढाने के लिए मात्र एक शिक्षक है । पालक कलेक्टोरेट आकर कलेक्टर चनचौपाल में शिक्षक की मांग कर रहे हैं । ये तो एक दिन में तीन स्कूलो के पालक शिक्षक की मांग कर रहे हैं। जिले मे लगभग 1900 सौ स्कूल है जहां लाखों बच्चों का भविष्य गढ़ने का दावा शिक्षा विभाग कर रहा है ,पर बिना शिक्षक के बच्चे कैसे इस स्लोगन को सार्थक करेंगे।
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