फिर हिंदू राष्ट्र का राग…अलगाव की ये कैसी आग! आखिर क्या है शंकराचार्य के बयान का आधार?

आखिर क्या है शंकराचार्य के बयान का आधार? Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati Demands to Make Hindu Rashtra India

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  • Publish Date - June 18, 2022 / 02:41 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:14 PM IST

राजेश राज, रायपुर: Hindu Rashtra India  देश में इन दिनों मंदिर और मस्जिद का विवाद छिड़ा हुआ है। ज्ञानवापी से लेकर काशी-मथुरा की बात उठ रही है। सवाल देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे और संविधान की भी उठाई जा रही है, लेकिन इसी बीच, हिंदुओं से सबसे बड़े धर्मगुरू कहे जाने वाले पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने हिंदू राष्ट्र को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। उनका कहना है कि दुनिया में कोई भी धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता। उन्होंने यहां तक कहा कि अगले तीन सालों में भारत हिंदू राष्ट्र हो जाएगा। अब सवाल है कि शंकराचार्य के बयान का आधार क्या है? क्या देश का संविधान, यहां की व्यवस्था इसकी इजाजत देती है?

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Hindu Rashtra India  गोवर्धन मठ जगन्नाथपुरी के पीठाधीश्वर जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने रायपुर में आयोजित एक धर्म सभा में हिंदू धर्म और हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर खुलकर विचार रखे। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 25 के प्रावधानों का ही पालन किया गया होता तो देश की स्थिति कुछ और होती। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई व्यक्ति, कोई तत्व धर्मनिरपेक्ष नहीं रह सकता। ये शब्द ही अपने आप में सबसे बड़ा झूठ है। उन्होंने कहा कि भारत अगले तीन सालों में हिंदू राष्ट्र बन जाएगा। दुनिया के 15 देश भारत के इस कदम का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा, ये 15 देश भी खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर लेंगे।

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वैसे शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज इकलौते शख्स नहीं हैं, जिन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की है। इससे पहले भी कई संत हिंदुओं को एकजुट होकर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का आह्वान कर चुके हैं। हालांकि शंकराचार्य के आज के बयान पर राजनीतिक दल बड़े संभल कर बयान दे रहे हैं। भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने शंकराचार्य का बयान को भारत के गौरव और हिंदू संस्कृति को प्रेरित करने वाला बताते हुए कहा कि यदि आम सहमति से देश हिंदू राष्ट्र घोषित हो बहुत अच्छा होगा। वहीं कांग्रेस नेता भी इसे आम सहमति पर छोड़ देते हैं।

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दुनिया के अधिकांश देश बहुसंख्यक आबादी के आधार पर खुद को धर्म विशेष का राष्ट्र घोषित कर चुके हैं, लेकिन करीब 100 करोड़ की हिंदू आबादी के बावजूद भारत हिंदू राष्ट्र नहीं हैं। हालांकि हिंदू धर्माचार्य संस्कृति, धर्म और नीति के आधार पर इसे हिंदू राष्ट्र घोषित करने की पुरजोर मांग करते हैं।

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