स्टार जैन/रायपुरः दूसरे राज्यों को रोशन करने वाला छत्तीसगढ़ इस बार खुद त्योहार पर बिजली संकट से जूझ रहा है। वजह ये कि प्रदेश के तीनों प्रमुख पॉवर प्लांट्स के पास औसतन 5 दिन का ही कोयला बचा हुआ है। मौजूदा कोल संकट के लिए सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। प्रदेश भाजपा को भी घेरा। जबकि भाजपा के सांसद कहते हैं कंपनियां हमें बताएं, तब हम समस्या हल पर बात करेंगेय़। सवाल ये कि क्या, इस बार की दिवाली पर बिजली संकट के लिए सियासी सटायर ही छोड़े जाएंगे या जमीन पर ठोस कुछ किया जाएगा?
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प्रदेश में गहराते कोल संकट को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सीएम ने कहा कि कोयला ढुलाई के लिए यात्री ट्रेनें बंद कर दी गई है। बावजूद इसके पावर कंपनियों को पर्याप्त कोयले के लिए रैक क्यों नहीं मिल रही। सीएम ने ये भी सवाल उठाया कि छत्तीसगढ़ का कोयला आखिर कहां जा रहा है। संयंत्रों को कोयला नहीं सप्लाई किए जाने पर सीएम ने छत्तीसगढ़ बीजेपी को भी कठघरे में खड़ा किया।
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सीएम के बयान पर रायपुर सांसद सुनील सोनी ने जवाब दिया कि रेलवे और कोल कंपनी के पास संसाधन सिमित है। जरुरत के हिसाब से सभी को कोयला उपलब्ध कराया जा रहा है। अगर कोई समस्या आ रही है तो बिजली कंपनी के अधिकारी हमें बताए। हम रेलवे मंत्रालय से बात करेंगे ।
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सियासी आरोप प्रत्यारोप से इतर हकीकत पर नजर डाले तो सरप्लस स्टेट में बिजली कंपनियों ने दिवाली पूर्व मेंटनेंस के नाम पर अभी से बिजली की अघोषित कटौती शुरू कर दी है। दरअसल पिछले कुछ समय से कोल कंपनियों की ओर से कोयले की आपूर्ति कम होने से पॉवर जनरेशन कंपनी के पास कोयले का स्टॉक कम हो गया है। छत्तीसगढ़ में बिजली कंपनी के तीन प्रमुख पॉवर प्लांट है, DSPM, STPS और मड़वा, लेकिन तीनों के पास औसत 5 दिनों का ही कोयले का स्टॉक है।
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अधिकारियों के मुताबिक इतने बड़े प्लांट के लिए बैकअप स्टॉक जरुरी है । इसलिए यहां पर रोजाना चार रैक रेलवे की लगनी है। लेकिन रेलवे सिर्फ दो ही रैक उपलब्ध करा रहा है। बहरहाल त्योहारी सीजन के दौरान मांग के अनुरुप बिजली सप्लाय करने के लिए जरुरी है कि संयंत्रो के पास पर्याप्त मात्रा में कोयले का स्टॉक उपलब्ध रहे। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद कोल कंपनिया राज्य को अतिरिक्त कोयला उपलब्ध कराने के लिए तैयार तो हुई लेकिन रेलवे से रैक की अनुपलब्धता के कारण कोल का स्टॉक पर्याप्त नहीं है। यानी बिजली की डिमांड बढ़ती है तो लोड शेडिंग करने के लिए बिजली कंपनी मजबूर होगी।