राजेश राज/सौरभ सिंह परिहार, रायपुरः छत्तीसगढ़ में नगर निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके पहले चरण में वार्डों का आरक्षण हुआ। बड़े शहरों में इस बार आरक्षण ने तस्वीर बदल दी है। कई दिग्गज नेता बदले समीकरण के चलते कम से कम अपने वॉर्ड से तो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। निकायों की सियासी तस्वीर भी अब बदल गई है। ये बदलाव किसके लिए फायदेमंद है और इसका क्या असर होगा? निकायों के चुनाव में ये अहम सवाल बन गया है।
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रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव सहित प्रदेश के अधिकतर नगरीय निकायों में आरक्षण की प्रकिया शुरु हो गई है। इस कड़ी में गुरुवार को प्रदेश के 189 निकायों में से 150 से ज्यादा निकायों में आरक्षण की प्रक्रिया को पूरी की गई। हालांकि आरक्षण के बाद कई शहर की सियासी समीकरण गड़बड़ाने लगा है। रायपुर नगर निगम की ही बात करें तो आरक्षण के बाद 70 वार्डों वाले रायपुर नगर निगम के 9 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए जबकि 23 वार्ड OBC के लिए आरक्षित हो गए। इसी तरह ST वर्ग के लिए 3 वार्ड रिजर्व हो गया, जबकि 70 में से 35 वार्ड सामान्य वर्ग के लिए हैं। आरक्षण के बाद सबसे ज्यादा मेयर के वार्ड का समीकरण बिगड़ा, जहां से अब सामान्य वर्ग की महिला चुनाव लड़ेगी। वहीं 3 एसटी वार्डों मे से एक वार्ड और 35 सामान्य वार्डों में से 11 वार्ड सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है। यानी आरक्षण केबाद जिन नेताओं का गणित बिगड़ा है, वे अब दूसरे क्षेत्रों की तलाश में जुट गए हैं।
जाहिर है निकायों में आरक्षण के बाद कई शहरों की सियासी तस्वीर और समीकरण बदल जाएगी है। ये बदलाव किसके लिए फायदेमंद होगा और इसका असर किस दल पर ज्यादा होगा और आरक्षण के चलते टिकट से वंचित रह जाने वाले नेताओं को पार्टी कैसे मनाएंगे? ये भी बड़ा सवाल है।