#SarkarOnIBC24: नगरीय निकायों में शुरू हुई आरक्षण की प्रक्रिया, कई बड़े शहरों में गड़बड़ाया समीकरण, किसके लिए फायदेमंद होगा बदलाव? जानें यहां

नगरीय निकायों में शुरू हुई आरक्षण की प्रक्रिया, कई बड़े शहरों में गड़बड़ाया समीकरण, Reservation process started in urban bodies of Chhattisgarh

  •  
  • Publish Date - December 19, 2024 / 11:47 PM IST,
    Updated On - December 20, 2024 / 12:16 AM IST

राजेश राज/सौरभ सिंह परिहार, रायपुरः छत्तीसगढ़ में नगर निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके पहले चरण में वार्डों का आरक्षण हुआ। बड़े शहरों में इस बार आरक्षण ने तस्वीर बदल दी है। कई दिग्गज नेता बदले समीकरण के चलते कम से कम अपने वॉर्ड से तो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। निकायों की सियासी तस्वीर भी अब बदल गई है। ये बदलाव किसके लिए फायदेमंद है और इसका क्या असर होगा? निकायों के चुनाव में ये अहम सवाल बन गया है।

Read More : Ananya Panday Pics: Ananya Panday ने शॉर्ट ड्रेस में फ्लॉन्ट किया कर्वी फिगर, देखें हॉट तस्वीरें 

रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव सहित प्रदेश के अधिकतर नगरीय निकायों में आरक्षण की प्रकिया शुरु हो गई है। इस कड़ी में गुरुवार को प्रदेश के 189 निकायों में से 150 से ज्यादा निकायों में आरक्षण की प्रक्रिया को पूरी की गई। हालांकि आरक्षण के बाद कई शहर की सियासी समीकरण गड़बड़ाने लगा है। रायपुर नगर निगम की ही बात करें तो आरक्षण के बाद 70 वार्डों वाले रायपुर नगर निगम के 9 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए जबकि 23 वार्ड OBC के लिए आरक्षित हो गए। इसी तरह ST वर्ग के लिए 3 वार्ड रिजर्व हो गया, जबकि 70 में से 35 वार्ड सामान्य वर्ग के लिए हैं। आरक्षण के बाद सबसे ज्यादा मेयर के वार्ड का समीकरण बिगड़ा, जहां से अब सामान्य वर्ग की महिला चुनाव लड़ेगी। वहीं 3 एसटी वार्डों मे से एक वार्ड और 35 सामान्य वार्डों में से 11 वार्ड सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है। यानी आरक्षण केबाद जिन नेताओं का गणित बिगड़ा है, वे अब दूसरे क्षेत्रों की तलाश में जुट गए हैं।

Read More : Priyanka Gandhi on BJP: ‘मैं चुनौती देती हूँ कि भाजपा नेता जय भीम का नारा लगाकर दिखाएं’.. डॉ अंबेडकर विवाद पर भड़की प्रियंका गांधी..

जाहिर है निकायों में आरक्षण के बाद कई शहरों की सियासी तस्वीर और समीकरण बदल जाएगी है। ये बदलाव किसके लिए फायदेमंद होगा और इसका असर किस दल पर ज्यादा होगा और आरक्षण के चलते टिकट से वंचित रह जाने वाले नेताओं को पार्टी कैसे मनाएंगे? ये भी बड़ा सवाल है।