#SarkarOnIBC24 : ‘बड़ों’ में कड़ी फाइट..’छोटों’ की हालत टाइट! आखिर क्यों भाजपा और कांग्रेस का गणित नहीं बिगाड़ पाते निर्दलीय और छोटे दल?

आखिर क्यों भाजपा और कांग्रेस का गणित नहीं बिगाड़ पाते निर्दलीय और छोटे दल? Report card of independent candidates in Madhya Pradesh

  •  
  • Publish Date - April 11, 2024 / 11:11 PM IST,
    Updated On - April 12, 2024 / 12:16 AM IST

भोपालः लोकतंत्र में यू तो हर नागरिक को चुनाव लड़ने का अधिकार है। अगर वो जरुरी शर्ते पूरा करता हो तो किसी और आधार पर उसकी उम्मीदवारी को रद्द नहीं किया जा सकता, लेकिन जब बात मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव और पार्टियों के परफॉर्मेंस की करें तो एक बात साफ है कि मध्यप्रदेश की जनता दो दलों के सिद्धांत को मानती है या तो बीजेपी या फिर कांग्रेस। वोटर्स के इसी नजरिए के चलते यहां किसी क्षेत्रीय पार्टी को कभी फलने फूलने का मौका नहीं मिला। बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये छोटे दल और निर्दलीय बीजेपी और कांग्रेस का गणित बिगाड़ क्यों नहीं पाते?

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और नामांकन की प्रक्रिया भी जारी है। मध्यप्रदेश में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। हालांकि इन दोनों पार्टियों के अलावा सपा और बसपा समेत कई निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाते हैं, जिनमें से 80 फीसदी अपनी जमानत जब्त करवा बैठते हैं। अगर आंकडों पर नजर डाले तो साफ हो जाता है कि प्रदेश में सपा, बसपा जैसे दल भी अपनी जमीन खो चुके हैं।

Read More : टाटा स्टील के ब्रिटिश संयंत्र के कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया

छोटे दल और निर्दलीय का रिपोर्ट कार्ड

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 438 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा जिनमें से 380 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। साल 2014 में 378 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। इनमें से 318 की जमानत जब्त हो गई। वहीं 2009 में 429 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई लेकिन 368 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। 2004 में भी 294 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया और चुनाव भी लड़ा लेकिन 232 प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में फेल हो गए।

2019 में भाजपा ने जीती थी 28 सीटें

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की 29 में से 28 सीटें जीत लीं थी, जबकि कांग्रेस के पाले में एकमात्र छिंदवाड़ा सीट आई थी। सपा और बसपा का कोई प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाया था। जबकि इसके लिए वैध मतों का छठवां हिस्सा यानी 16.66 प्रतिशत हासिल करना जरुरी होता है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल इसे मध्यप्रदेश में लोकतंत्र की खूबसूरती बताते हैं।

Read More : MLA अजय चंद्राकर का बड़ा हमला, झीरम कांड के प्रत्यक्षदर्शी ने किसकी ताकत पर कहा ‘मोदी मरेगा’, राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर हो जांच 

विधानसभा चुनाव का भी यहीं हाल

मध्यप्रदेश में ऐसा सिर्फ लोकसभा के चुनाव में ही होता हो ऐसा नहीं है, बल्कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी जनता बीजेपी और कांग्रेस पर ही भरोसा करती है। जानकार मानते हैं कि मतदान के समय जनता अपने वोटों का बिखराव नहीं चाहती। केंद्र में सरकार बनाने में सक्षम पार्टी को ही वोट करती है ताकि सरकार बनाने के लिए जोड़ तोड़ ना करना पड़े।