'Rann' of Khairagarh... Bet on credibility! What is public mood before 2023?

खैरागढ़ का ‘रण’…साख पर दांव! क्या है 2023 के पहले जनता का मूड?

खैरागढ़ का 'रण'...साख पर दांव! क्या है 2023 के पहले जनता का मूड? 'Rann' of Khairagarh... Bet on credibility! What is public mood before 2023?

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:56 PM IST
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Published Date: March 24, 2022 10:54 pm IST

रिपोर्ट- आलोक शर्मा, राजनांदगांव: Rann’ of Khairagarh 12 अप्रैल को खैरागढ़ विधानसभा में उपचुनाव के लिए वोटिंग होनी है, जिसमें हार-जीत से भी मौजूदा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन फिर भी ये चुनाव राजनीतिक दलों के लिए साख का सवाल बन गया है। खैरागढ़ उपचुनाव को 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों से भी जोड़ा जा रहा है। इसलिए बीजेपी हो या कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। पार्टी के दिग्गज नेताओं ने ग्राउंड जीरों पर मोर्चा संभाल लिया है, दोनों तरफ से जीत के दावे हो रहे हैं। माना जा है कि उपचुनाव के परिणाम के जरिए राजनीतिक दल ये समझने की कोशिश करेंगे कि 2023 के पहले जनता का मूड क्या है?

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Rann’ of Khairagarh खैरागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों की साख दांव पर लगी है। दोनों राजनीतिक दल जानते हैं कि 2023 विधानसभा चुनाव से पहले अपनी तैयारियों को परखने का ये आखिरी मौका हौगा। ऐसे में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता, लिहाजा मंथन और शक्ति प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। खास तौर पर बीजेपी, जिसके लिए 2018 के बाद से कुछ भी सही नहीं घटा है। अब खैरागढ़ सीट को जीतकर अपनी साख बचाने में लगी है। बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक सहित अपने 5 पूर्व मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है। नामांकन के आखिरी दिन बीजेपी प्रत्याशी कोमल जंघेल ने अपना पर्चा भरा. इस दौरान बीजेपी की तरफ से जोरदार शक्ति प्रदर्शन भी हुआ।

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दूसरी ओर सत्ताधारी कांग्रेस ने भी अपने आधा दर्जन मंत्रियों और 1 दर्जन से अधिक विधायकों की ड्यूटी खैरागढ़ में लगा दी है। बुधवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आधा दर्जन मंत्रियों के साथ कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा के नामांकन में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के जीत के दावे भी किए। दूसरे ही दिन खैरागढ़ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक हुई। मंत्री रविंद्र चौबे ने अपने बंगले मे समिति के सदस्यों और विधायकों के साथ चुनावी तैयारियों पर मंथन किया। बैठक के बाद रविंद्र चौबे ने दावा किया कि हम अपने काम के बूते चुनाव जीतेंगे।

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खैरागढ़ में बीजेपी और कांग्रेस दोनों अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन दोनों को JCCJ से कड़ी चुनौती मिलनी तय है। जाहिर है खैरागढ़ उपचुनाव सभी दलों के लिए नाक का सवाल बन गया है। खैरागढ़ के गढ़ में किसका कब्जा होगा? ये जानने में अभी वक्त है लेकिन यहां शुरू हुई चुनावी जंग को 2023 के विधानसभा चुनाव का ट्रेलर माना जा रहा है।

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