CG Ki Baat| Photo Credit: IBC24
CG Ki Baat: रायपुर। इस वक्त छत्तीसगढ़ में नक्सल सफाए के तय टार्गेट के मुताबिक तेज एक्शन देखने को मिल रहा है। गुरूवार को एक तरफ फिर से सुरक्षा बलों ने उत्तर-दक्षिण बस्तर में बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें 30 नक्सली ढेर हुए। लेकिन, इसी बीच प्रदेश के सियासी गलियारे में बहस है कवासी लखमा से नक्सल फंडिग को लेकर की गई पूछताछ को लेकर कांग्रेस कहती है कि पूर्व आबकारी मंत्री पर दबाव डालकर सरकार फंसा रही है तो बीजेपी का दावा है कि जो किया वो काटेंगे।
लखमा पहले से शक के दायरे में रहे हैं, जांच ऐजेंसिया तथ्यों के आधार पर ही पूछताछ कर रही हैं। नेता प्रतिपक्ष ने तो प्रदेश में जारी एंटी नक्सल ऑपरेशन्स के पीछे सरकार की मंशा पर भी सवाल उठा दिए हैं।एक तरफ पूरे देश में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सफाए के लिए चलाए जा रहे ‘एंटी नक्सल अभियान’ की चर्चा है। जवानों की जांबाजी और बदली स्ट्रैटेजी से 2026 में देश से पूरी तरह नक्सल सफाए का दावा है तो दूसरी तरफ, पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के दौरान हुए शराब घोटाला केस में सेंट्रल जेल रायपुर में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से ED के बाद अब EOW ने पूछताछ की है।
बुधवार और गुरूवार को EOW टीम ने लखमा से घंटो पूछताछ की, बताया गया कि लखमा से करीब 12 सवाल पूछे गए जिसमें, लखमा की संपत्ति कितनी है, उसे कैसे-कहां से कमाया गया, सुकमा कांग्रेस भवन निर्माण और नक्सलियों को पैसे पहुंचने के मनी ट्रेल पर भी सवाल पूछे गए। लखमा से पूछताछ पर मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि, नक्सलियों को फंडिंग दुर्भाग्य जनक विषय है। जानकारी पक्की होने पर एक्शन होगा।
केदार कश्यप ने तंज कसा कि अब तो कांग्रेस ने लखमा को लावारिस छोड़ दिया है, जबकि गृहमंत्री विजय शर्मा के मुताबिक, जो गलत है करेगा उस पर एक्शन होगा। एजेंसियां केवल अपना काम कर रहीं हैं। इधर, कांग्रेस का आरोप है कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। लखमा का आज नक्सल कनेक्शन निकाल रहे हैं, कल कोई दूसरा कनेक्शन निकालने की कोशिश करेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि लखमा पर किसी का नाम लेने का दबाव बनाया जा रहा है। नक्सली फंडिंग की बात को कबूलने को कहा जा रहा है और तो और उन्होंने नक्सल खात्मे के तेज एक्शन के पीछे सरकार की मंशा पर ही सवाल उठा दिया।
वैसे पूर्व मंत्री कवासी लखमा पर झीरम घाटी हमले के वक्त से ही गाहे-बगाहे सवाल और शंकाएं जोड़ी जाती रही। पूरी जांच का दावा भी खूब हुआ, लेकिन पुख्ता तौर पर कोई कनेक्शन या एक्शन सामने नहीं आया। दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष डॉ महंत का नक्सल सफाए के पीछे उद्योग पतियों के लिए रेड कार्पेट बिछाने वाले बयान पर भी सवाल उठ रहे हैं। सवाल हैं कि क्या नक्सली मनी ट्रेल या नक्सल सप्लाई कनेक्शन्स का पता नहीं लगाया जाना चाहिए। सवाल ये भी क्या नक्सल सफाया को लेकर कांग्रेस का स्टैंड क्लीयर है ?