शुक्रवार को कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर देश में सबसे बड़ा मुद्दा अग्निवीरों का गूंजा। देश के प्रधानमंत्री ने 1999 युद्ध में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए अग्निपथ योजना को लेकर उठाए गए हर सवाल और अटकलों पर जवाब दिया। पीएम मोदी ने कहा, अग्निवीर योजना पर किसी पुनर्विचार की जरूरत नहीं है, सेना का रिफॉर्म पहली प्राथमिकता है, दशकों से सेना को युवा बनाने पर चर्चा हुई, कई कमेटियां बनी, लेकिन किसी ने इच्छा शक्ति नहीं दिखाई। हमने अग्निवीर बनाकर इसपर कदम बढ़ाए।
PM ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ दल और नेता इस पर सियासत कर रहे हैं। जाहिर है अग्निवीर का विरोध करने वाले विपक्षी गठबंधन को ये बात जरा भी रास नहीं आई। अग्निपथ योजना के विरोध में सबसे बड़ा तर्क रहा है कि भर्ती होने वाले जवानों का 4 साल बाद क्या होगा। इसका जवाब यूं तो पहले भी कई बार दिया जा चुका है। लेकिन, शुक्रवार को अग्निवीरों को लेकर यूपी, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार ने अग्निवीर से निकले जवानों को प्राथमिकता देने का ऐलान कर दिया। वैसे, विपक्ष अब भी दावा कर रहा है कि इस योजना से देश की सेना और युवा दोनों का भविष्य खतरे में है।
एक तरफ प्रधानमंत्री साफ कर चुके हैं कि अग्नवीरों को लेकर सरकार किसी संशय में नहीं है। चाहे इस पर लाख सियासी प्रेशर पॉलिटिक्स की जाए अग्निपथ योजना जारी रहेगी। पहले हरियाणा, उत्तराखंड और शुक्रवार को यूपी, MP,छत्तीसगढ़ सरकारों ने अग्निवीरों के लिए नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था देकर साफ कर दिया कि बीजेपी अग्निवीरों के भविष्य को लेकर उठाए जा रहे सवालों के समाधान के लिए पूरी तरह तैयार है। सवाल है क्या अग्निवीरों को लेकर विरोध केवल सियासी है ? क्या अब भी शंकाओं और सवालों के जरिए विपक्ष इसे मुद्दा बना पाएगा ?