CG Politics: ‘वित्त’ पर सियासी संग्राम… निशाने पर पुराना ‘निजाम’, प्रदेश विकास की प्लानिंग पर क्यों हो रही बहस? देखें रिपोर्ट

CG Politics: 'वित्त' पर सियासी संग्राम... निशाने पर पुराना 'निजाम', प्रदेश विकास की प्लानिंग पर क्यों हो रही इतनी बहस? देखें रिपोर्ट

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  • Publish Date - July 11, 2024 / 09:19 PM IST,
    Updated On - July 11, 2024 / 09:19 PM IST

CG Politics: रायपुर। इन दिनों केंद्रीय वित्त आयोग की टीम प्रदेश दौरे पर है। साय सरकार का दावा है कि, आयोग कांग्रेस शासनकाल में हुई वित्तीय अनियमितता की जांच करेगा। इसी मुद्दे पर सूबे की सियासत में उबाल दिख रहा है। सत्ता पक्ष पिछली सरकार को घोटालेबाज सरकार बताते हुए कांग्रेस को घेर रही है तो विपक्ष का आरोप है कि साय सरकार ने प्रदेश को कर्ज तले दबा दिया। साथ ही विपक्ष ने वित्त मंत्री की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठा दिए। सवाल है कि क्या प्रदेश की वित्त व्यवस्था के बहाने, सियासी संग्राम का नया मोर्चा खुल चुका है। क्या प्रदेश के विकास, उसके विजन और वित्तीय हालात पर सियासत संग्राम उचित है।

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पक्ष-विपक्ष के नेताओं की बीच छिड़ी इस बहस के केंद्र में प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था है। दरअसल, केंद्रीय वित्त आयोग की टीम छत्तीसगढ़ के दौरे पर साय सरकार ने वित्त आयोग की टीम के साथ, प्रदेश की वित्तीय जरूरतों पर मंथन किया और छत्तीसगढ़ के विजन-2047 के हिसाब से जरूरतों पर बात की। बैठक में वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने प्रेजेंटेशन दिया। साय सरकार का जोर उद्योग, पर्यटन, कृषि सेक्टर पर है। दूसरी तरफ केंद्रीय वित्त आयोग की टीम के दौरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी दिखा।

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डिप्टी CM अरुण साव ने कहा कि पिछली सरकार ने केंद्रीय वित्त आयोग से मिले रूपयों का दुरुपयोग किया, आरोप पर पलटवार करते हुए PCC चीफ दीपक बैज ने कहा कि, वित्त मंत्री से वित्त मंत्रालय संभल नहीं रहा, 6 महीने में ही राज्य को 16 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ तले दबा दिया। इधऱ, कांग्रेस ने सवाल उठाया कि प्रदेश के वित्त मंत्री एक, दो या 5 साल नहीं बल्कि 2047 की प्लानिंग कर ली, जो व्यवहारिक नहीं।

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आरोपों के जवाब में प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने पिछली सरकार के वित्तीय गड़बड़ियों की फेहरिस्त याद दिला दी। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए 2000 करोड़ का आबकारी घोटाले, 1000 करोड़ के कोल स्कैम के साथ-साथ दवा खरीदी, जल जीवन मिशन, स्मार्ट सिटी, गोबर और गोमूत्र खरीदी,राजीव मितान क्लब, स्कूल जतन योजना घोटाले का जिक्र किया। वित्त मंत्री का दावा है कि इन सभी घोटालों की शिकायत पर 16वां वित्त आयोग संज्ञान लेगा ।

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वैसे ये पहला मौका नहीं है जब प्रदेश के वित्तीय प्रबंधन को लेकर बहस छिड़ी हो। कांग्रेस शासनकाल में बीजेपी ने तब की फ्लैगशिप योजनाओं को भ्रष्टाचार का खुला जरिया बताया था। अब बीजेपी सरकार के 2047 के विजन के हिसाब से वित्तीय प्लानिंग पर कांग्रेस सवाल उठा रही है। इस वक्त देश में केंद्र सरकार 2024-25 के लिए बजट की तैयारी में जुटी है, जिसके लिए सभी राज्यों की वित्तीय जरूरत और आगामी प्लानिंग का खाका तैयार किया जा है। बड़ा सवाल ये कि प्रदेश विकास के लिए की जा रही प्लानिंग पर इतनी बहस क्यों ?

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