CG Ki Baat: रायपुर। क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक है, क्या छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़े फेरबदल हो सकते हैं। इन सवालों के पीछे है, खुद कांग्रेस के कुछ नेताओं के गंभीर आरोप हैं। पार्टी के सीनियर नेता, चुनावों में मिली हार के लिए अपनी ही पार्टी की पिछली सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के लिए पार्टी में शामिल कुछ क्रिमिनल किस्म के नेताओं के असरदार होने का आरोप लगा रहे हैं। दूसरी तरफ पार्टी के चुने हुए जनप्रतिनिधि, मीटिंग्स, सभाओं, आंदोलन और आयोजनों में पार्टी के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को ना बुलाने का आरोप लगाकर भिड़ते नजर आते हैं।
जाहिर है कांग्रेस के इस हाल पर बीजेपी को तंज कसने का मौका मिला है, वो पार्टी पर माफिया मानसिता का होने का गंभीर आरोप लगा रही है। आखिर कांग्रेसी अपनी ही पार्टी की पिछळी सरकार में असरदार चेहरों पर यूं गंभीर आरोप क्यों लगा रहे हैं, कितनी सच्चाई है इसमें, अगर सच है तो क्या कार्रवाई भी होगी? अब इसे हार का साइट इफेक्ट कहें या पिछली सरकार के वक्त उपेक्षा की टीस। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री अमितेष शुक्ल अपनी पार्टी की हार के लिए, पार्टी के भीतर कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की एंट्री को जिम्मेदार मानते हैं। शुक्ल का इशारा पिछली सरकार के मुखिया के चंद करीबी नेताओं की तरफ माना जा रहा है, जिनके दखल और असर से पार्टी के पुराने नेता पहले भी उपेक्षित मससूस करते आए हैं।
दरअसल, 2023 में विधानसभा, फिर 2024 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद, कांग्रेस ने जो फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई उसके समक्ष भी पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के आरोपों से बने माहौल को बड़ा फैक्टर बताया बताया। पूर्व मंत्री अमितेष शुक्ल के मुताबिक उन्होंने खुद मोइली कमेटी और दिल्ली में बड़े नेताओं से कांग्रेस की हार की वजहें खुलकर बताई हैं। शुक्ल का दावा है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में व्यापारी मानसिकता के अपराधियों की एंट्री ने ही पार्टी को हरा दिया।
वैसे, अमितेष शुक्ल यहीं नहीं रूके, उन्होंने पिछली सरकार के दौरान भ्रष्टाचार पर कहा कि बिना आग के धुंआ नहीं उठता। कांग्रेस में साफ छवि वालों को बचाना होगा। शुक्ल के बयान से पूर्व CM भूपेश बघेल और PCC चीफ दीपक बैज ने किनारा कर लिया है तो बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस विचारधारा से हटकर एक गिरोह बन गई है, जिनकी वजह से ही कांग्रेस का हाल है। वैसे, हार के बाद पार्टी के भीतर नेताओं के गुस्से के साथ-साथ गुटबाजी भी सतह दिखने लगी है। बिलासपुर में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी मस्तूरी ने महमंद में नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों का सम्मान और हरेली महोत्सव कार्यक्रम रखा, जिसमें कई सीनियर कांग्रेसी नेताओं को ना बुलाने पर बहस गर्मा गई।
कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतर का हाल खुलकर सामने आ रहा है। चंद दिन पहले पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का बयान, कि अपनी गलतियों से हारे, सत्तासीन होने के दौरान कांग्रेस में तेरा-मेरा खेल चल रहा था। अब पूर्व मंत्री अमितेष शुक्ल का गंभीर आरोप कि पार्टी को कुछ अपराधियों की एंट्री ने बदनाम किया। मोइली कमेटी की रिपोर्ट कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के पास पहुंच चुकी है। पर, सवाल ये है कि क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस इकाई पर इसका कोई असर पड़ेगा? क्या वाकई पार्टी में प्रदेश स्तर पर कोई परिवर्तन होगा?