CG Ki Baat: रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने नए सचिवों और संयुक्त सचिवों की नियुक्ति की, देश के कई राज्यों में प्रभारी बदल दिए। इसी सूचि में छत्तीसगढ़ के दो नेताओं को भी राष्ट्रीय सचिव के तौर पर अहम जिम्मेदारी मिली है,जिसमें एक नाम है भिलाई विधायक देवेंद्र यादव का, जिन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाते हुए बिहार का प्रभारी बनाया गया है, जिसे लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोला कि जेल में बंद नेताओं को पद देना कांग्रेस की पुरानी रवायत है। सवाल ये कि क्या वाकई नए दौर में जेल गए नेताओं की तरक्की तय हो जाती है? क्या देवेंद्र यादव को कांग्रेस संघर्ष करने वाला युवा जननेता के तौर पर महिमामंडित कर रही है, जबकि उनपर एक गंभीर आरोप लगा है ? सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या देवेंद्र यादव की नियुक्ति के पीछे केवल और केवल एक ही वजह है या फिर कोई और सियासी समीकरण हैं?
कांग्रेस पार्टी ने लंबे सोच-विचार के बाद आखिरकार संगठन में कुछ बदलावों पर मुहर लगा दी है। AICC ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सचिवों और प्रभारों को लेकर सूचि जारी कर दी। छत्तीसगढ़ से राजेश तिवारी और कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव को बतौर राष्ट्रीय सचिव जिम्मेदारी दी गई है, जबकि असम के प्रभारी रहे विकास उपाध्याय को हटा दिया गया है। वहीं, छत्तीसगढ़ के सहप्रभारी रहे चंदन यादव और सप्तगिरी शंकर उल्का को भी अन्य राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है और उनके स्थान पर एस ए शंपथ कुमार और जरिता लैतफलांग को सहप्रभारी बनाया गया है। लेकिन, अब जेल में बंद कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की नियुक्ति ने प्रदेश की सियासी फिजाओं में उबाल ला दिया है।
कांग्रेस ने देवेंद्र यादव की नियुक्ति कर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। देवेंद्र OBC वर्ग से आते हैं और उन्हें बिहार का प्रभार दिया गया है, जहां यादव समाज की बहुलता है। देवेंद्र यादव को कांग्रेस इस वक्त छग में संघर्ष का बड़ा और युवा फेस बता रही है, तो इस नियुक्ति के जरिए कांग्रेस संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी में मौका मिलने का मैसेज दिया। इस नियुक्ति से बिहार में जातिगत समीकरण साधने की कोशिश भी की। लेकिन, अब देवेंद्र की नियुक्ति पर भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है। डिप्टी CM अरुण साव ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि, कांग्रेस का हाथ अपराध और अपराधियों के साथ रहा है।
इस पर PCC चीफ बैज ने पलटवार किया कि देवेंद्र यादव BJP की साजिश का शिकार हुए हैं वो कोई अपराधी नहीं हैं। वैसे, कांग्रेस का ये कदम रूटीन एक्सरसाइज बताई जा रही है। चुनाव के बाद येकभी भी हो सकता था, ये सबको पता है। लेकिन, प्रदेश में फिलहाल बलौदाबाजार हिंसा केस में देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद से सत्तापक्ष उन्हें सीधे-सीधे साजिशकर्ता और अपराधी बताकर पूरी पार्टी को घेर रहा है तो विपक्ष देवेंद्र यादव को सतनामी समाज और जनता के लिए संघर्ष करने की मिली सजा के तौर पर पेश कर रहा है। ऐसे दौर में देवेंद्र यादव को मिली नई और बड़ी जिम्मेदारी से प्रदेश का सियासी तापमान मिलना लाजिमी है। बड़ा सवाल है क्या देवेंद्र यादव को संघर्ष करने, जेल जाने का ईनाम मिला है?