CG Politics: रायपुर। 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया। इमरजेंसी के काले अध्याय पर हर साल कार्यक्रम होते हैं, लेकिन इस बार बयानों और आरोपों से आगे भाजपा ने दिनभर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए, कांग्रेस पर लोकतंत्र को बंधक बनाने का आरोप लगाया। इसे काला दिवस कहकर देश को इमरजेंसी काल की याद दिलाई। सवाल ये है कि करीब 50 साल बाद इमरजेंसी की इतनी याद क्यों आई। क्या इसका कनेक्शन हाल में सम्पन्न चुनाव कैंपेन से है, हाल में आए चुनावी नतीजों से है, नतीजों से बीजेपी को लगे झटके से है। क्या इससे कोई नरेटिव सेट करने की तैयारी है या किसी सेट नरेटिव को काउंटर किया जा रहा है ? ये सारे सवालों के जवाब जानने के लिए देखें खास रिपोर्ट..
इमरजेंसी की बरसी पर हर साल कुछ बयान आते हैं, कुछ आरोप और कुछ सफाई दी जाती हैं। लेकिन, इस बार आपातकाल को लेकर बीजेपी के तेवर कहीं ज्यादा आक्रामक हैं। पूरे देश में खासकर भाजपा शासित प्रदेशों में बीजेपी ने आपातकाल के बुरे दौर की याद दिलाने वाले कार्यक्रम किए। कांग्रेस को जमकर कोसा, इमरजेंसी को कांग्रेस की असली मानसिकता बताया। आपातकाल को आजाद देश के इतिहास का काला अध्याय बताने, उसके लिए कांग्रेस को घेरे जाने पर पटलवार में कांग्रेस नेताओं ने भाजपा के सियासी मंसूबों पर सवाल उठाए। पूछा कि आखिर बीजेपी 50 साल पुरानी घटना पर कब तक माहौल बनाती रहेगी। आगे की तरफ देखें, तीसरी बार सरकार बनाने का मौका मिला है, काम करें।
CG Politics: वैसे, हाल ही में 2024 के चुनाव निपटे हैं। नतीजों ने बीजेपी नेताओं को सत्ता तो दी, लेकिन साथ ही सबक भी दिया, झटका भी दिया। जब इसकी वजहें तलाशी गईं तो प्रचार के दौरान राहुल गांधी का संविधान की किताब लेकर चलना, संविधान बदलने, संविधान को बीजेपी से खतरा है वाला नरेशन सेट होने को मुख्य वजह माना गया। ये भी सच है कि कांग्रेस की सियासी पारी का सबसे बड़ा दाग है आपातकाल लिहाजा भाजपा ने इसी कमजोर नस को फिर दबाया है। कांग्रेस को आइना दिखाते हुए, संविधान का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है। बार-बार कांग्रेस इस पर घिरती भी रही है। सवाल है क्या पचास साल पुरानी गलती इमरजेंसी के जिक्र से बीजेपी के खिलाफ सेट नरेशन को खत्म करने की तैयारी है, ये असरकारक होगा ?