छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में स्थापित शोध पीठों का हाल बेहाल, कागजी संस्था बने रिसर्च को बढ़ावा देने वाले संस्थान |

छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में स्थापित शोध पीठों का हाल बेहाल, कागजी संस्था बने रिसर्च को बढ़ावा देने वाले संस्थान

research centers established in universities of Chhattisgarh: इन शोध पीठों की स्थापना का उद्देश्य प्रदेश में शोध को बढ़ावा देना था। लेकिन, शोध की संख्या बढ़ाने की होड़ में गुणवत्ता का ह्रास हो रहा है। ना तो नए शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन मिल रहा है, ना ही मौजूदा शोधों का समाज पर कोई प्रभाव दिख रहा है।

Edited By :   |  

Reported By: Supriya Pandey

Modified Date:  November 16, 2024 / 07:39 PM IST, Published Date : November 16, 2024/7:22 pm IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में स्थापित शोध पीठों का हाल गंभीर चिंता का विषय बन गया है। राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में शोधपीठ तो मौजूद हैं, लेकिन उनके संचालन की स्थिति दयनीय है। उच्च शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुल सात शोध पीठ हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर महज नाममात्र के लिए चल रहे हैं।

पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद शोध पीठ और गुरु घासीदास शोध पीठ स्थापित हैं, जबकि जगदलपुर के बस्तर विश्वविद्यालय में आदिवासी लोककला एवं आदिवासी बोली शोध पीठ संचालित है। इन पीठों का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को शोध के माध्यम से प्रोत्साहित करना था। लेकिन स्थिति इसके उलट है।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में सबसे ज्यादा शेाध पीठ

वहीं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कबीर विकास संचार केंद्र शोध पीठ, माधवराव सप्रे राष्ट्रवादी पत्रकारिता शोध पीठ, पंडित दीनदयाल उपाध्याय मानव अध्ययन शोध पीठ, हिंदी स्वराज शोध पीठ यानी कुल 4 शोध पीठ स्थापित हैं। इन पीठों का मकसद शोध और लेखन के माध्यम से नई विचारधारा को जन्म देना था। लेकिन, यहां भी शोध कार्य ठप है। अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं होने से संचालन बाधित है।

इन शोध पीठों की स्थापना का उद्देश्य प्रदेश में शोध को बढ़ावा देना था। लेकिन, शोध की संख्या बढ़ाने की होड़ में गुणवत्ता का ह्रास हो रहा है। ना तो नए शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन मिल रहा है, ना ही मौजूदा शोधों का समाज पर कोई प्रभाव दिख रहा है।

छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी ने बंद किया प्रकाशन!

रविवि के हिंदी ग्रंथ अकादमी की दुर्दशा भी किसी से छिपी नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी, जो भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार का केंद्र मानी जाती है, पिछले छह साल से प्रकाशन बंद कर चुकी है। यह संस्थान, जो नई किताबें प्रकाशित करने और शोध सामग्री तैयार करने के लिए जाना जाता था, अब केवल कागजी संस्था बनकर रह गया है।

छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में शोध पीठों की वर्तमान स्थिति दर्शाती है कि शिक्षा के इस महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है। जब तक इन संस्थाओं को पर्याप्त संसाधन और सक्षम नेतृत्व नहीं मिलेगा, शोध का उद्देश्य अधूरा ही रहेगा। यह न केवल प्रदेश की अकादमिक छवि को प्रभावित करता है, बल्कि राज्य के सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास में भी बाधा डालता है।

read more: Chhattisgarh Police recruitment: छत्तीसगढ़ में शुरू हुई पुलिस भर्ती प्रक्रिया, पांच जिलों के 67 हजार अभ्यर्थी दिखाएंगे दमखम 

read more: CG Waqf Board: छत्तीसगढ़ की तमाम मस्जिदों के लिए बड़ी खबर, जुम्मे की नमाज के वक्त तकरीर पर वक्फ बोर्ड ने लिया अहम फैसला