Sawan 2023: सावन में छत्तीसगढ़ के इन मंदिरों में उमड़ती है भक्तों की भीड़, हर मुराद पूरी करते हैं भगवान शिव

Sawan 2023: Ancient Shiva Temple of Chhattisgarh महाशिवरात्रि का अवसर है इस समय देशभर के शिव मंदिर शिव के शंखनाद से गुंजयमान रहते है|

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  • Publish Date - June 28, 2023 / 10:08 AM IST,
    Updated On - July 4, 2023 / 02:58 PM IST

Sawan 2023: Ancient Shiva Temple of Chhattisgarh: रायपुर। महाशिवरात्रि का अवसर है इस समय देशभर के शिव मंदिर शिव के शंखनाद से गुंजयमान रहते है। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य में भी कई शिव मंदिर है जहा शिवभक्ति के साथ मेले भी लगते हैं। रायपुर से करीब 25 किलोमीटर और भिलाई से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर कल्चुरी कालीन (12 वीं से 13वीं शताब्दी ) शिव मंदिर स्थित है। इस मंदिर के गर्भगृह में मौजूद स्वयंभू शिवलिंग भूरे रंग की है। इस मंदिर के बगल में ही एक बावड़ीनुमा कुंड बना हुआ है। इस कुंड की खासियत है कि गर्मी के दिनों में भी इसका पानी नहीं सूखता। शिवरात्रि के अवसर पर यहां दो दिन का बड़ा मेला लगता है जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

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छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय संरक्षित मंदिरों की संख्या कुल 39 है, जिनकी देखरेख केंद्रीय पुरातत्व विभाग के द्वारा किया जाता है। इन मंदिरो में सबसे अधिक 17 शिव मंदिर हैं। बाकी 22 मंदिर विष्णु, बुद्ध, दंतेश्वरी समेत अन्य देवी-देवताओं के हैं। 39 संरक्षित मंदिरों में से विभिन्ना देवी-देवताओं के 19 ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां आज भी नियमित रूप से पूजा होती है, जिनमें आठ मंदिर शिवजी के हैं।

सावन महीने में इन मंदिरों में की जाती है विशेष पूजा

भूतेश्वरदेव महादेव

भूतेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा है गांव मरौदा में स्थित है। इस शिवलिंग की ऊंचाई 16 फिट तथा गोलाई 21 फिट है। शिवलिंग की ऊंचाई और गोलाई धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। राजस्व विभाग के अनुसार प्रतिवर्ष 6 से 8 इंच की बढ़ोतरी हो रही है। भूतेश्वर महादेव के नाम से ख्यात यह शिवलिंग मरौदा में पहाड़ियों के बीच स्थित है। यह जमीन से लगभग 85 फीट उंचा एवं 105 फीट गोलाकार है।

सुरंग टीला मंदिर

सुरंग टीला मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले में सिरपुर शहर में स्थित 7 वी शाताब्दी का एक प्राचीन शिव मंदिर है। इस पश्चिममुखी विशाल मदिर में पाँच गर्भगृह हैं जिनमें चार भिन्न प्रकार के शिवलिंग हैं– सफ़ेद, काला, लाल और पीला, और अन्य एक गर्भगृह में भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है।

भोरमदेव मंदिर

Sawan 2023: Ancient Shiva Temple of Chhattisgarh: छत्तीसगढ के कबीरधाम जिले में कबीरधाम से 18 कि. मी. दूर तथा रायपुर से 125 कि.मी. दूर चौरागाँव में एक हजार वर्ष पुराना मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में एक काले पत्थर से बना हुआ शिवलिंग स्थापित है। गर्भगृह में एक पंचमुखी नाग की मुर्ति है साथ ही नृत्य करते हुए गणेश जी की मुर्ति तथा ध्यानमग्न अवस्था में राजपुरूष एवं उपासना करते हुए एक स्त्री पुरूष की मुर्ति भी है।

पातालेश्वर/केदारेश्वर महादेव

पातालेश्वर/केदारेश्वर महादेव मंदिर बिलासपुर जिले के मल्हार में स्थूत है। बिलासपुर शहर से 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित नगर पंचायत मल्हार एक ऐतिहासिक स्थल है। मंदिर का निर्माण कल्चुरी काल में 10वीं से 13वीं सदी में सोमराज नामक ब्राह्मण ने कराया था।

कुलेश्वर मंदिर

यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में राजिम नगर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 9 वी शताब्दी में किया गया था। पुरातत्वीय धार्मिक एवं सांस्कृति महत्व का स्थल राजिम रायपुर से 48 कि॰मी॰ दक्षिण में महानदी के दक्षिण तट पर स्थित है जहां पैरी एवं सोंढूर नदी का महानदी से संगम होता है। इसका प्राचीन नाम ‘कमल क्षेत्र’ एवं ‘पद्मपुर’ था। इस मंदिर का निर्माण संगम स्थली पर ऊंची जगती पर किया गया है। इस मंदिर में गर्भगृह, अन्तराल एवं मण्डप है।

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महादेव मंदिर पाली

सावन के मौसम में भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन को आतुर होते हैं। कोरबा जिले के कटघोरा तहसील से लगभग 30 किमी दूर है पाली। जहां पर है भगवान शिव का भव्य मंदिर। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बांण वंशी राजा विक्रमादित्य ने सन 900 ईसवी के आसपास करवाया था। इस मंदिर का निर्माण बालुए पत्थर द्वारा किया गया है। इसके साथ ही इस मंदिर की अद्भुत बनावट और इसका गर्भगृह इसकी विशेषता है। लोगों का मानना है कि सावन के महीने में भगवान शिव हर किसी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे कई मशहूर शिव मंदिर हैं, जो काफी मशहूर हैं।

प्राचीन शिव मंदिर

Sawan 2023: Ancient Shiva Temple of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है। जहां पर शिवलिंग स्वयं ही भूगर्भ से उत्पन्न हुआ था। ये मंदिर दुर्ग से करीब 22 किलोमीटर दूर देवबलोदा गांव में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण कलचुरी युग में 12वीं-13वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। यहां एक नाग-नागिन का जोड़ा भी रहता है। इस जोड़े को लोगों ने कई बार शिवलिंग से लिपटे हुए भी देखा है। ये पूरा मंदिर एक ही पत्थर से बना हुआ है, लेकिन इसका गुम्बद अधूरा है। उनका मानना है कि आज भी नाग-नागिन का जोड़ा इस मंदिर में विचरण करते हैं।

महादेव मंदिर नारायणपुर

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार जिले के अंतर्गत कसडोल के समीप महानदी के तट पर प्राचीन और धार्मिक महत्व का स्थल है, जिसे नारायणपुर नामक ग्राम के नाम से जाना जाता है। यहाँ का प्रमुख आकर्षण का केंद्र भव्य प्राचीन शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण कलचुरी कालीन राजा के द्वारा 7वीं से आठवी शताब्दी के बीच कराया गया था। मंदिर के बाहरी दीवारों पर विष्णु के अवतारों का बारी- बारी से वर्णन किया गया है। साथ ही यक्ष गन्धर्व ,पशु पक्षी ,बेलबूटे के साथ कामुक प्रतिमा को पत्थरो में तरासा गया है, जो खजुराहो के मंदिर के सामान लगता है।

 

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