भूपेश सरकार में हुई जमीनों की बंदरबाँट? हैरान कर देंगे ये आंकड़े, भूमि आवंटन को लेकर प्रदेश में सियासत गर्म

politics on land distribution in Bhupesh government: साय सरकार के मंत्री इस फैसले को जमीनों की बंदरबांट को रोकने वाला कदम बता रहे हैं, तो कांग्रेस नेता रमन सरकार के समय के भूमि आवंटन की याद दिला रहे हैं। तो क्या सच में जमीनों की बंदरबांट हुई?

  •  
  • Publish Date - July 20, 2024 / 06:11 PM IST,
    Updated On - July 20, 2024 / 06:11 PM IST

रायपुर। politics on land distribution in Bhupesh government शुक्रवार को साय कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए भूपेश बघेल सरकार के समय जारी उन सर्कुलर को रद्द कर दिया गया। जिसके जरिए पूरे प्रदेश के नगरीय निकायों में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीनों पर लोगों को मालिकाना हक दिया गया। सरकार ने यह भी घोषणा की है कि पिछले पांच सालों में इस आदेश के तहत जिन जिन लोगों को जमीने आवंटित की गई हैं, उन सबकी जांच होगी। गड़बड़ी मिली तो आवंटन रद्द भी होगा। इस फैसले पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है।

साय सरकार के मंत्री इस फैसले को जमीनों की बंदरबांट को रोकने वाला कदम बता रहे हैं, तो कांग्रेस नेता रमन सरकार के समय के भूमि आवंटन की याद दिला रहे हैं। तो क्या सच में जमीनों की बंदरबांट हुई? कांग्रेस ने अपने चहेतों को कौड़ी के मोल सरकारी जमीनें दे दी हैं? या फिर मामला कुछ और था।

read more: ICSI CSEET July Result 2024: भारतीय कंपनी सचिव संस्थान ने जारी किया ICSI CSEET 2024 का परिणाम, इस Link पर आसानी से देखा जा सकता है रिजल्ट

दरअसल, साल 2019, 2020 और साल 2024 में तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार ने कई परिपत्र जारी कर शहरी क्षेत्रों में नजूल और सरकारी जमीनों का मालिकाना हक लोगों को देना शुरू किया था। इस परिपत्र के आधार पर पूरे प्रदेश के नगरीय निकायों में सैकड़ों सरकारी जमीनों का स्वामित्व आम लोगों को दे दिया गया। वहीं अब उस कदम पर बवाल खड़ा हो गया है। शुक्रवार को साय कैबिनेट में पूर्व में जारी तमाम परिपत्रों को रद्द करते हुए, भूपेश बघेल सरकार के दौरान सरकारी जमीनों के आवंटन की जांच कराने का ऐलान कर दिया है।

सरकार में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा का सीधा आरोप है कि इन परिपत्रों की आड़ में कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की बेशकीमती सरकारी जमीनों की बंदरबांट की। उसे अपने लोगों में बांटा, इन सबकी जांच होगी। साय सरकार ने ना सिर्फ पूर्व के सर्कुलरों को रद्द किया है, बल्कि राजस्व विभाग की वेबसाइट पर उन तमाम आवंटनों की लिस्ट भी जारी करने का ऐलान किया है, जो इन नियमों के तहत किए गए। अगर कोई शिकायत करता है तो संभाग आयुक्त उसकी जांच करेंगे, और आवंटन नियम विरुद्ध पाया गया तो आवंटन रद्द भी होगा।

read more: छत्तीसगढ़ में भी लागू होगा दुकानों के सामने नेम प्लेट लगाने का नियम? साय कैबिनेट के मंत्री ने कही ये बात 

विभाग की जानकारी बताती है कि पिछले पांच सालों में शासन और कलेक्टर द्वारा 259 केस में 195 एकड़ सरकारी जमीनें लोगों में बांट दी गई। लेकिन शहरी क्षेत्र की इतनी बड़ी जमीन सिर्फ 55 करोड़ में थमा दी गई। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि इसमें खूब खेल हुआ, सरकारी जमीनों की ऑक्शन कराई गई, लेकिन खुली प्रतिस्पर्धा नहीं हुई। गुपचुप तरीके से लोग आए, बेस रेट तय हुआ और जमीनें अलॉट कर दी गई। कई कांग्रेस नेताओं के नाम भी इसमें सामने आ रहे हैं।

इसके अलावा, शहरों की अतिक्रमित सरकारी जमीनों को भी बेचा गया। शासन ने करीब 7 एकड़, और कलेक्टर के माध्यम से 2639 एकड़ जमीनें बेच दी गईं। ये पूरी जमीनें करीब 300 करोड़ में बेची गई। ये आंकड़ा भी काफी चौकाने वाला है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज कह रहे हैं कि जमीनें तो रमन सरकार के समय भी बांटी गई थी। क्या उन जमीनों का आवंटन भी रद्द होगा?

read more:  Sarkari Naukri 2024: युवाओं के लिए खुशखबरी… स्वास्थ्य विभाग में 50 हजार पदों पर होगी भर्तियां, चिकित्सा मंत्री ने किया ऐलान 

बहरहाल, साय सरकार के फैसले के बाद प्रदेश भर से उन नामों की लिस्ट मंगवाई जा रही है, जिन्होंने इन नियमों के तहत सरकारी जमीने लीं। जाहिर है, जब एक एक नाम का खुलासा होगा तो कई सफेदपोश और राजनीतिक शख्सियत की कलई भी खुलेगी। ऐसे में जमीनों की बंदरबांट का मुद्दा भी आगे और गरमाने वाला है।

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए हमारे फेसबुक फेज को भी फॉलो करें

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp