CG Ki Baat: रायपुर। बलौदा बाजार की घटना पर सियासी पारा पूरी तरह से हाई है… एक तरफ घटना के बाद चेते प्रशासन का ताबड़तोड़ एक्शन जारी है। जांच टीमें अपनी पड़ताल शुरू कर चुकी हैं तो दूसरी तरफ पक्ष-विपक्ष दोनों घटना का कोई भी सिरा सियासी तौर पर खुला नहीं छोड़ना चाहता है। कांग्रेस के बाद अब बीजेपी ने भी अपनी अलग जांच टीम बनाकर मामले में करारा पलटवार करने की तैयारी कर ली है लेकिन बड़ा सवाल ये कि आखिर बीजेपी को अपनी सरकार के तेज एक्शन और चलती जांचों के बीच अलग जांच टीम क्यों बनानी पड़ी?
बलौदाबाजार हिंसा मामले में प्रशासन के एक्शन के बीच…इसकी 2 स्तर पर जांच जारी है। पुलिस ने 21 सदस्यों वाली एक SIT बनाई है जो इसके हर एंगल से जांच कर रही है। दूसरी तरफ मूल घटनाक्रम यानि जैतखाम को क्षतिग्रस्त करने की घटना की न्यायिक जांच के लिए रिटा. जस्टिस सीबी बाजपेयी जांच अधिकारी नियुक्त हो चुके हैं जो 6 बिंदुओं पर जांच कर,3 महीने में रिपोर्ट देंगे। इसी बीच बलौदाबाजार हिंसा मामले में अब बीजेपी ने भी अपनी एक अलग जांच टीम बना दी है। मंत्री दयालदास बघेल के नेतृत्व में 5 सदस्यीय जांच टीम में मंत्री टंकराम वर्मा, बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा, अनुसूचित जाति मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष नवीन मार्कण्डेय और पूर्व विधायक रंजना साहू को शामिल किया गया है। सवाल उठा भला सरकार चला रही पार्टी को अलग से जांच टीम बनाने की क्या जरूरत है?
CG Ki Baat: इसके पहले गुरूवार को पूर्व मंत्री शिव डहरिया के नेतृत्व में कांग्रेस जांच दल पहले ही वहां जाकर जांच-पड़ताल कर चुका है। आज भी कांग्रेस के सीनियर विधायकों ने बलौदाबाजार पहुंचकर जांच की…और मामले में सरकार को पूरी तरह नाकाम बताया। बलौदाबाजार में जो कुछ हुआ वो बेहद दुर्भाग्यजनक है। क्या इसके पीछे कोई सियासी साजिश थी या फिर अब घटना के बाद इसमें सियासी स्कोप खोजा जा रहा है। उससे भी बड़ा सवाल ये है कि कल तक कांग्रेस के जांच दल को कोरी सियासत करार देने वाले सत्तासीन दल बीजेपी, अपनी सरकार, उसके सशक्त तंत्र, दो-दो स्तर पर हर पहलू की जांच टीमों के होते हुए भी अपनी अलग जांच टीम क्यों बनानी पड़ी। क्या पार्टी को अपनी सरकार के अधीन हो रही जांच पर भरोसा नहीं है?
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5 hours ago