OPS latest news in hindi : रायपुर। छत्तीसगढ़ में नए और पुराने पेंशन को लेकर सवाल फिर उठ गए हैं। पिछले साल बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की थी। तब इसे मास्टर स्ट्रोक बताया गया, और लगा कि प्रदेश के 3 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को एकमुस्त साध लिया गया है लेकिन भाजपा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के एक सवाल ने इस विवाद को फिर से जिंदा कर दिया है।
भाजपा नेता धरमलाल कौशिक के पूछे सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में जानकारी दी कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने के बाद 10 फरवरी 2023 तक 857 कर्मचारियों ने इस विकल्प को चुना है। वहीं 3,09,197 कर्मचारी-अधिकारियों ने अब तक कोई विकल्प नहीं दिया है। इस जानकारी के सामने आने के बाद बीजेपी ने OPS को लेकर फिर से सवाल खड़ा कर दिया है।
OPS latest news in hindi: दरअसल, विवाद आंकड़ों को लेकर शुरू हुआ है..सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि जब ओल्ड पेंशन स्कीम योजना का लागू करना इतना बड़ा ही मास्टर स्ट्रोक था तो फिर कर्मचारी इसे अपनाने में हिचक क्यों रहे हैं। चुंकि, विवाद आंकड़ों से शुरू हुआ है, तो जवाब भी आंकड़े में ही बताते हैं। सीएम की ओर से दी गई जानकारी 10 फरवरी 2023 तक की थी, लेकिन 6 मार्च 2023 की स्थिति में बताया जा रहा है, 2 लाख 99 हजार 191 राज्य कर्मचारियों में से 2 लाख 90 हजार 229 कर्मचारियों यानी 96 फीसदी कर्मचारियों ने ओल्ड पेंशन का विकल्प चुन लिया है। सिर्फ 1 प्रतिशत यानी, 2,265 कर्मचारियों ने एनपीएस का विकल्प चुना हैं जबकि, करीब 9 हजार कर्मचारियों ने अभी तक कोई विकल्प नहीं चुना है। यही बात कर्मचारियों की बातों से भी झलकती है।
हालांकि, 3 लाख कर्मचारियों में से करीब आधे कर्मचारी, जो स्कूलों के शिक्षक हैं, वो अब भी नए और पुराने पेंशन में झूल रहे हैं, क्योंकि उनकी नियुक्ति 1998 से शुरू होती है, लेकिन ओपीएस का लाभ 2018 यानी संविलियन वर्ष से मिलने वाला है। इस नियम के चलते 8 हजार से ज्यादा शिक्षक तो सीधे सीधे ओल्ड पेंशन स्कीम से बाहर हो गए हैं। जो योग्य भी हैं, उनके लिए कई तरह के संशय हैं।
ओल्ड पेंशन स्कीम का एक पहलू ये भी है कि जिन 96 फीसदी कर्मचारियों ने ओपीएस का विकल्प चुना है, उनमें से हजारों ऐसे हैं, जिन्हें ओपीएस को लेकर संदेह और उलझन हैं। जाहिर है, ये मुद्दा भी आगे चलकर सरकार के सामने खडा होने वाला है। संशय की बात ये भी है कि भारत सरकार ने ओल्ड पेंशन अपनाने वाले राज्यों को साफ कह दिया है एनपीएस में अब तक जमा किया गया फंड वापस करने का कोई प्रावधान ही नहीं है। जाहिर है कि वह राशि भी राज्यों को वापस नहीं मिलने वाली है ऐसे में खर्च का बोझ और भारी पड़ने वाला है।