CG Ki Baat

CG Ki Baat: नामांकन निरस्त..बढ़ा झमेला, निकला आरोपों का रेला, क्या निकाय चुनाव में इस बार विपक्ष बिना लड़े ही धराशायी हो जाएगा ?

CG Ki Baat: नामांकन निरस्त..बढ़ा झमेला, निकला आरोपों का रेला, क्या निकाय चुनाव में इस बार विपक्ष बिना लड़े ही धराशायी हो जाएगा ?

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Modified Date: January 30, 2025 / 10:54 PM IST
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Published Date: January 30, 2025 10:54 pm IST

रायपुर। CG Ki Baat: छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव का घमासान और तेज गया है। धमतरी नगर निगम के मेयर पद के लिए कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा निरस्त होते ही कांग्रेस ने शोर मचाना शुरू कर दिया है । यही नहीं कई जगह कांग्रेस पार्षदों के हटने से बीजेपी के उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं कुछ जगहों पर विपक्षी उम्मीदवारों ने नाम वापस लेने के लिए जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी मढ़ा है। विपक्ष ने सरकार के खिलाफ आरोपों का ढेर लगा दिया है। आखिर इन आरोपों के मायने क्या हैं?

निकाय चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। सियासी घमासान तेज होता जा रहा। इसी बीच गुरुवार का दिन कांग्रेस पर भारी पड़ा। धमतरी में मेयर प्रत्याशी का पर्चा रद्द हो गया। पर्चा निरस्त होते ही कांग्रेस ने शोर मचाना शुरू कर दिया है। एक तरफ कांग्रेस ने कोर्ट जाने की बात कह रही तो पीसीसी चीफ दीपक बैज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर सत्ता का दरुपयोग करने का आरोप लगाया और कलेक्टर की कॉल डिटेल सार्वजनिक करने की मांग की।

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अब सवाल है कि धमतरी में मेयर कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन रद्द होने में दोष किसका है ? क्या धमतरी में कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन निरस्त होने के पीछे कोई साजिश है। कांग्रेस धमतरी प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रही है तो बीजेपी ने सीधे-सीधे इसे कांग्रेस की हताशा बताई। विजय गोलछा का नामांकन रद्द होने के बाद अब धमतरी से तिलक सोनकर के नाम पर चर्चा तेज है। हालांकि इस मामले में पीसीसी चीफ सारे विकल्प खुले होने की बात कही है। तो धमतरी में कांग्रेस के डमी कैंडिडेट तिलक सोनकर ने भी टिकट मिलने पर जीत दावा किया।

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CG Ki Baat: वैसे नामांकन निरस्त होने का मसला सिर्फ धमतरी का नहीं है बल्कि नामांकन पर्चों पर सियासत और आंकड़े बता रहे हैं, कांग्रेस जो कह रही है वह निराधार नहीं है..आंकड़े कह रहे हैं, अब तक प्रदेशभर में कुल 89 नामांकन रद्द हुए हैं। नामांकन रद्द करना या होना पूरी तरह से प्रशासनिक एक्शन है, लेकिन विपक्ष के नामांकनों का ज्यादा रदद् होना महज इत्तेफाक नहीं हो सकता..ऐसे में सवाल है कि क्या नामांकन निरस्त के मुद्दे को कांग्रेस निकाय चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी।

 

 

 

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