रायपुर। CG Municipal body elections through direct system and EVM छत्तीसगढ़ के 14 नगर पालिक निगमों, 48 नगर पालिकाओं और 122 नगर पंचायतों में चुनाव की आहट अब सुनाई देने लगी है। छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में नगरीय निकाय चुनाव होंगे। राज्य सरकार ने निकाय चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। इस बार महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने पर विचार किया जा रहा है। अप्रत्यक्ष प्रणाली को बदलने की चर्चा हो रही है, इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा में जुबानी जंग छिड़ चुकी है।
बता दें कि राज्य गठन के बाद से ही नगरीय निकाय चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता रहा। जनता पार्षद के साथ ही महापौर और अध्यक्ष के लिए भी वोट दिया करती थी। 2019 में कांग्रेस सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराया। इस तरह पार्षदों ने ही अध्यक्ष और महापौर चुने। तब विपक्ष में रही भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने जनता से एक वोट का अधिकार छीन लिया। अब भाजपा सरकार में है तो माना जा रहा है प्रत्यक्ष प्रणाली से मेयर और अध्यक्ष का चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है।
इसके लिए परिसीमन की प्रक्रिया तो पहले ही प्रारंभ कर दी गई है। भाजपा विधायक दल की बैठक में अधिकतर विधायकों ने प्रत्यक्ष चुनाव पर सहमति भी दे दी है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अब जनता ही डायरेक्ट अपने मेयर और अध्यक्ष चुनेगी। इतना ही नहीं बीजेपी सरकार ईवीएम से निकाय चुनाव कराने का फैसला भी ले सकती है। इससे भाजपा के सीनियर नेताओं को अध्यक्ष और महापौर बनने के लिए पार्षद चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं होगी। इस तरह पार्टी को अनावश्यक प्रतिस्पर्धा और अंतर्कलह का सामना भी नहीं करना होगा।
प्रदेश में भाजपा विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित है। ऐसे में उसे इस बात का भरोसा भी है कि अधिकतर स्थानों में अपने अध्यक्ष और मेयर बनाने में सफलता मिलेगी। इस पर नगरीय निकाय मंत्री अरुण साव ने कहा राज्य सरकार निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष चुनाव पर राज्य सरकार जल्द निर्णय लेगी। दोनों चुनाव प्रणाली को लेकर आमजनों से चर्चा करेंगे।
वहीं पूर्व नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने कहा जनता के हित में निर्णय लेना चाहिए। राज्य सरकार को बिना सोचे समझे कुछ नहीं करना चाहिए। छत्तीसगढ़ में भाजपा दो बड़ी जीत से उत्साहित है। जबकि कांग्रेस लगातार दो बड़ी हार से हताशा में है। ऐसे में निकाय चुनाव में भाजपा जहां अपना परफॉर्मेंस बनाए रखने पर फोकस करेगी तो वहीं कांग्रेस के सामने प्रत्यक्ष प्रणाली से भी अपने मेयर और अध्यक्षों को जिताने की बड़ी चुनौती होगी।
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