Milk Production Increase: भूपेश सरकार के राज में ग्रामीणों की हो रही तरक्की, पशुधन को बढ़ावा देकर कर रहे ज्यादा दूध उत्पादन

Milk production increased due to CM Bhupesh scheme कृषि क्षेत्र के उत्पादन के मूल्य में पशुधन क्षेत्र का योगदान लगभग 23 प्रतिशत है।

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  • Publish Date - September 11, 2023 / 11:46 AM IST,
    Updated On - September 11, 2023 / 11:46 AM IST

Milk production increased : रायपुर। छत्तीसगढ़ पशुधन संपदा से समृद्ध है। कृषि क्षेत्र के उत्पादन के मूल्य में पशुधन क्षेत्र का योगदान लगभग 23 प्रतिशत है। अधिकांश ग्रामीण परिवारों के पास पशुधन की एक या दूसरी प्रजाति है। भूमि की तुलना में पशुधन जोत का वितरण अधिक न्यायसंगत है, यह दर्शाता है कि गरीबों के पास फसल उत्पादन की तुलना में पशुधन उत्पादन में अधिक अवसर हैं। इसी वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए कृषि के साथ ही पशुधन को बढ़ावा देने के लिए भूपेश सरकार ने सराहनीय कार्य किए हैं।

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प्रदेश में बढ़ा दूध उत्पादन

प्रदेश में गौवंशीय पशुओं की संख्या पर गौर करें तो 20वीं पशु संगणना के मुताबिक इनकी संख्यी 99. 84 लाख है। अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में गायों की संख्या एक करोड़ से भी पार हो चुकी है। 20वीं पशु संगणना वर्ष 2019 में की गई थी। यह हर पांच वर्ष में होता है। राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे नरवा,गरवा,घुरूवा,बाड़ी प्रोजेक्ट का असर भी दूध उत्पादन में देखा जा रहा है।

वर्तमान में गाय के अलावा अन्य दुधारू पशुओं की संख्या पर गौर करें तो इनकी संख्या 1.58 करोड़ है। नेशनल डेयरी बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भी छत्तीसगढ़ में दूध का उत्पादन बढ़ा है। हालांकि राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति 406 ग्राम दूध की उपलब्धता के मामले में प्रदेश के पीछे हैं। वर्तमान में यह उपलब्धता 105 ग्राम से बढ़कर 159 ग्राम पहुंच चुकी है।

छत्तीसगढ़ पशुधन विभाग संचालक चंदन त्रिपाठी ने कहा, राज्य में दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। हर वर्ष छह लाख पशुओं में चिकित्सकीय पद्धति से गर्भधारण करवाया जा रहा है। राज्य सरकारी की योजनाओं से लोग प्रभावित हुए हैं। नरवा,गरवा, घुरवा, बाड़ी व गौठानों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

किसानों को खेती किसानी से हो रही तरक्की

भूपेश शासन की नीतियों की वजह से प्रदेश में दूध उत्पादन तेजी से बढ़ा है। पशुपालन को बढ़ावा देने से खेती-किसानी की तरक्की हो रही है। इसके साथ ही किसानों के व्यापार-व्यवसाय की तरक्की भी इसी पर निर्भर है। भूपेश सरकार की विशेष पहल से प्रदेश में ग्रामीण विकास की नवाचारी योजनाओं और इनके क्रियान्वयन से आर्थिक विकास का बेहतर माहौल तैयार हुआ है। प्रदेश में पशुधन मिश्रित फसल लाइव स्टॉक प्रणाली का एक अभिन्न अंग है जहां फसल उत्पादन पशुओं की अधिकांश फ़ीड और चारे की आवश्यकताओं को पूरा करता है और वे फसल उत्पादन के लिए शक्ति और गोबर खाद प्रदान करते हैं। इस तरह के तालमेल को फसल और पशुधन उत्पादन की स्थिरता और घरेलू खाद्य सुरक्षा के लिए फायदेमंद माना जाता है।

किसानों के आय में हो रही वृद्धि

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में छोटे किसानों का दबदबा है। लगभग 73 प्रतिशत भूमि जोत 2 हेक्टेयर से कम है, जिसका क्षेत्रफल 29 प्रतिशत है। इन परिवारों के लिए फसल उत्पादन आजीविका का एकमात्र स्रोत होने की संभावना नहीं है। वे पशुपालन जैसी ऑफ-फार्म और गैर-कृषि गतिविधियों से जीवित रहते हैं और ज्यादातर जानवरों को भोजन और नकद आय के नियमित स्रोत के रूप में रखते हैं।

प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ, पशुधन उत्पादों की खपत पिछले दशक में खाद्यान्नों की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ी है, जिसने पशुधन और कुक्कुट उत्पादों के लिए बाजार के रुझान को सुगम बनाया है। पशुपालन में क्रांतिकारी परिवर्तन, छोटे पशुपालकों को गरीबी एवं कुपोषण से मुक्ति तथा बाजार अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा से जुड़कर आर्थिक विकास में सहायक होगा, इसे सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट पशुधन विकास एवं प्रजनन नीति का सृजन किया गया है।

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पशुधन को बढ़ावा देने के लिए इन योजनाओं से हो ग्रामीणों की हो रही तरक्की

गोधन न्याय योजना

भूपेश सरकार ने इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए गाय पालन से जुड़े किसानों के लिए ‘गोधन न्याय योजना’ शुरू की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में गाय-पालन को आर्थिक रूप से फायदेमंद बनाने, खुले में चराई की रोकथाम और सड़कों घूमते आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए इस योजना का ऐलान किया ​गया।

गाय पालन को बढ़ावा

भूपेश बघेल ने बताया कि गोधन न्याय योजना का उद्देश्य प्रदेश में गाय पालन को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी सुरक्षा और उसके माध्यम से पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाना है।

गौठानों का निर्माण

गांवों में पशुधन के विकास के लिए गौठानों का निर्माण किया गया है। प्रदेश के लगभग 2200 गांवों में गौठानों का निर्माण हो चुका है और लगभग 2800 गांवों में गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। आने वाले दो-तीन महीने में लगभग 5 हजार गांवों में गौठान बन गए हैं।

गोबर खरीदी

गोबर खरीदी से पशुपालन को बढ़ावा मिल रहा है। इसके साथ ही गांव-गांव में की जा रही गोबर खरीदी और जैविक खाद के सतत निर्माण एवं उपयोग से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। इस योजना से गाय पालन को बढ़ावा मिलने के साथ किसानों की आमदनी में भी इजाफा हो रहा है।

किसानों की आमदनी में इजाफा

‘गोधन न्याय योजना’ को पूरी तरह से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आधार पर तैयार किया गया है। इससे किसानों की आमदनी और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।

 

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