Midstream of elections.. 'Minorities' will become Khevanhar? With the 'minority'..only then will things happen
रायपुर । बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक रायपुर में हुई है।इस बैठक के कई मायने निकाले जा रहे हैं। अल्पसंख्यकों को लेकर बीजेपी की रीति और नीति दोनों क्या रही है और आगे क्या होने वाली है। साथ ही कांग्रेस का इस पर क्या कहना है.. इन तमाम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। हमारे साथ जुड़ रहे हैं 3 खास मेहमान। BJP अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष शकील अहमद, छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र छाबड़ा और वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा।
दरअसल, बीजेपी नई संभावनाएं तलाश रही है। इसके तहत उस तबके तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है, जो लंबे समय तक उससे दूर रहा है। इसकी रणनीति बनाने के लिए बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने रायपुर में दो दिन मैराथन मीटिंग की। तय किया गया कि मोर्चा के सदस्य मोदी सरकार की योजनाओं को अल्पसंख्यकों के बीच लेकर जाएंगे। इसके साथ ही चुनिंदा 60 लोकसभा सीटों के अल्पसंख्यक वोटों को खींचकर बीजेपी के पाले में लाने की कोशिश की जाएगी। सूफी संतों को भी बीजेपी से जोड़ने का प्लान बनाया गया है।
हालांकि बीजेपी की सियासत इस तबके के विरोध पर टिकी रही है लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत और पीएम मोदी के हाल के बयानों के बाद समीकरण बदले-बदले दिख रहे हैं। इस पूरी कवायद पर कांग्रेस की नजर है। क्या कहना है कांग्रेस नेताओं का, वो भी सुन लीजिए। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही 23 और 24 के चुनावों के लिए एक-एक कर अपने पत्ते खोल रही है। अब सवाल ये है कि क्या अल्पसंख्यक वोटर समय रहते अपने पत्ते खोलेगा?
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डॉ रमन सिंह बोले PM अल्पसंख्यकों को धार्मिक के साथ आधुनिक बनाना चाहते हैं । एक हाथ में कुरान और दूसरे में कंप्यूटर देने की परिकल्पना । बैठक में अल्पसंख्यकों तक बीजेपी की नीति पहुंचाने पर चर्चा हुई। प्रेमसाय सिंह टेकाम बोले बीजेपी की अल्पसंख्यकों के प्रति सोच सभी को पता है। चुनाव की वजह से अल्पसंख्यकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है। आम बजट में अल्पसंख्यकों के लिए क्या किया। केवल बातें करने से काम नहीं चलेगा। वहीं सुशील आनंद शुक्ला ने कहा बीजेपी चुनाव आने पर वोट के लिए ढोंग करती है। अल्पसंख्यकों का हितैषी बनने का ढोंग करती है बीजेपी। एकता की बात करेंगे लेकिन मुसलमान को टागरेट करेंगे। बीजेपी अल्पसंख्यकों की हितैषी हो ही नहीं सकती।