रायपुर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ मिली सफलता को केन्द्र और राज्य में भाजपा सरकार की उपलब्धि बताया है। (Kab khatma hoga naxalwad) उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बहुत कम समय में देश से नक्सलवाद को उखाड़ फेंका जाएगा।
कांकेर मुठभेड़ को सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता बताते हुए गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने देश से नक्सलवाद और आतंकवाद को उखाड़ फेंकने का एक सतत अभियान चलाया हुआ है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद से इस अभियान को गति मिली है। नक्सली इलाकों में सुरक्षा बल कैंप लगाए जा रहे हैं। 19 के बाद इनकी संख्या 250 हो गई है। नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में छत्तीसगढ़ पुलिस से भी मदद मिल रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद तीन महीने में 80 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। 125 गिरफ्तार हुए हैं और 150 ने आत्मसमर्पण किया है। (Kab khatma hoga naxalwad) आगे भी इस तरह के अभियान जारी रहेंगे। बहुत कम समय में मोदी के नेतृत्व में देश से नक्सलवाद को उखाड़ फेंकेंगे।
10 राज्यों में 70 जिले नक्सल प्रभावित
देशभर में अलग-अलग राज्यों में नक्सल प्रभावित इलाकों की बात करें तो देश के 10 राज्यों में 70 जिलों में नक्सलवाद का प्रभाव है। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य झारखंड जहां 16 जिले हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित 14 जिले शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित जिलों की बात करें तो बस्तर, बलरामपुर, गरियाबंद, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, धमतरी, कोंडागांव, महासमुंद, राजनांदगांव, कवर्धा और मुंगेली शामिल है।
पिछले 14 सालों में हुए 1452 नक्सली ढेर
छत्तीसगढ़ में पिछले 14 सालों में हुए नक्सली हमलों की बात करें तो यहां अन्य राज्यों की अपेक्षा सबसे ज्यादा नक्सली मुठभेड़ की खबरें सामने आती रहती हैं। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पिछले 14 सालों के भीतर 1582 नक्सली मुठभेड़ हुई है। इन मुठभेड़ के दौरान 1452 नक्सली मारे गए हैं। इस बीच 1002 आम नागरिकों की भी मौत हुई है। वही इन हमलों में 1222 जवान शहीद हो चुके हैं।
कब ख़त्म होगा नक्सलवाद?
नए सरकार के गठन के बाद नक्सलियों को आशंका थी कि सरकार उनके खिलाफ अभियान तेज करेगी और हुआ भी ऐसा ही। राज्य की नई सरकार ने शान्ति का प्रस्ताव भी सामने रखा था लेकिन नक्सल नेताओं की तरफ से इस प्रस्ताव पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई। वही दूसरी तरफ पुलिस और सुरक्षाबलों को बस्तर में फ्री हैण्ड कर दिया गया हैं। ऐसे में पिछले तीन महीनों में नक्सलियों को कई बड़े नुकसान उठाने पड़े हैं। अबतक जहां माओवादियों के बटालियन स्तर के नेता ही ढेर हुए थे तो इस बार शंकर राव जैसे डिवीजन लेवल का नेता पुलिस के गोली का शिकार हुआ हैं। ऐसे में नक्सली प्रदेश में पूरी तरफ से बैकफुट में हैं। अब लगातार सवाल किये जा रहे हैं कि आखिर कब तक छत्तीसगढ़ को इस नक्सल दंश से छुटकारा मिल पायेगा और बस्तर में खून की होली थमेगी।
16 अप्रेल के दोपहर कांकेर जिले के छोटे बैठिया जंगल के माड़ इलाके में हुए नक्सली-पुलिस मुठभेड़ में 29 नक्सलियों की मौत हो गई थी। (29 Naxalites gun down in kanker Update News) उनमें से 16 नक्सलियों की पहचान कर ली गई हैं। शवों में डीवीसी नेता शंकर राव और 10 लाख की इनामी महिला नक्सली ललिता की शिनाख्त भी कर ली गई हैं। बाकि बचे नक्सलियों की पहचान के लिए स्थानीय ग्रामीण और आत्मसमर्पित नक्सलियों की मदद ली जा रही हैं। इससे पहले घटना के ठीक एक दिन बाद मारे गए 8 नक्सलियों की पहचान की गई थी।
ये हैं शामिल
सुंदरराज ने बताया कि मारे गए नक्सली जिनकी पहचान की गई है उनमें डिवीजनल कमेटी सदस्य शंकर राव और ललिता के साथ-साथ सुखमती, जुगरी, अदरू, माधवी, सुखलाल पद्दा, हीरालाल, विनोद गांवड़े, राकेश, कमला, रजीता, हिड़मे मरकाम, टीनू, मानवी और दिवाकर गांवड़े शामिल हैं। सभी नक्सली दक्षिण बस्तर एरिया में सक्रिय थे।
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बरामद हथियार
पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से एक एके 47 रायफल, दो इंसास राइफल, (29 Naxalites gun down in kanker) एक एसएलआर राइफल, एक कार्बाइन, तीन 303 राइफल, दो 315 बोर बंदूक, दो नौ एमएम पिस्तौल, दो देसी लांचर, आठ भरमार बंदूक, एक देसी हथगोला सहित भारी मात्रा में गोला बारूद और अन्य सामान बरामद किया है।
फिर बता दें कि कांकेर जिले के छोटेबेठिया पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिनागुंडा गांव के करीब मंगलवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 15 महिलाओं सहित 29 नक्सली मारे गए थे। इस घटना में तीन जवान घायल हुए हैं। सभी का इलाज रायपुर के चिकित्सालयों में जारी हैं।