#SarkaronIBC24: प्रदेश में हो रही MLA फंड की बंदरबांट? बीजेपी ने कांग्रेस का सियासी प्रोपेगेंडा बताया.. जानें पूरी खबर

#SarkaronIBC24: कांग्रेसी विधायकों ने इसकी शिकायत राज्य के CM से की है। सत्ता पक्ष के नेता कांग्रेस के इन आरोपों को सियासी प्रोपेगेंडा बताकर पलटवार कर रहे हैं, क्या वाकई MLA फंड की बंदरबांट हो रही है।

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  • Publish Date - August 1, 2024 / 11:48 PM IST,
    Updated On - August 1, 2024 / 11:49 PM IST

रायपुर। #SarkaronIBC24 प्रदेश में एकबार फिर जनहित और क्षेत्र के विकास को मुद्दा बनाकर पक्ष-विपक्ष में बहस छिड़ गई है। विपक्ष का आरोप है कि प्रदेश के प्रभारी मंत्री स्थानीय विधायक के प्रस्तावों को छोड़कर अपने कार्यकर्ताओं को निजी तौर पर लाभ पहुंचाने वाली अनुंशसाएं कर रहे हैं । जिससे क्षेत्र का विकास अवरूद्ध हो रहा है। कांग्रेसी विधायकों ने इसकी शिकायत राज्य के CM से की है। सत्ता पक्ष के नेता कांग्रेस के इन आरोपों को सियासी प्रोपेगेंडा बताकर पलटवार कर रहे हैं, क्या वाकई MLA फंड की बंदरबांट हो रही है।

छत्तीसगढ़ के सभी विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में खर्च करने के लिए 4-4 करोड रुपए की राशि मिलती है। इसमें से एक करोड रुपए की राशि पर संबंधित जिलों के प्रभारी मंत्री द्वारा अनुशंसा की जाती है। अब इसी राशि को लेकर कांग्रेस के विधायकों ने जिलों के प्रभारी मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। और इसकी शिकायत मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तक किए है।

कांग्रेस विधायकों का कहना है की एक करोड़ रूपए की राशि के लिए हमनें जो प्रस्ताव तैयार किए हैं। उस पर प्रभारी मंत्री हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण उनके विधानसभा में विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। वही कुछ जगहों पर भाजपा के जिला और मंडल अध्यक्षों के लेटर पैड पर प्रभारी मंत्री अनुशंसा कर रहे है। कांग्रेस विधायकों ने बताया कि जनसंपर्क निधि की 10 लाख रुपए की राशि भी प्रभारी मंत्रियों द्वारा स्वीकृति नहीं होने से क्षेत्र की जनता को परेशान होना पड़ रहा है।

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मामले पर अब सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है की प्रभारी मंत्रियों को यह राशि कांग्रेस विधायकों को दिया जाना चाहिए। ताकि क्षेत्र का विकास हो सके। प्रभारी मंत्री इस राशि का बंदरबांट करते हुए भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को व्यक्तिगत लाभ पहुंचा रहे हैं। कांग्रेस के इन आरोपों को राजनीतिक बताते हुए संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि प्रभारी मंत्री यह राशि अपने विधानसभा में नहीं ले जा रहे है। बल्कि इस विधानसभा में जनप्रतिनिधियों की मांग पर अनुशंसा कर रहे हैं। यह प्रभारी मंत्री का स्वविवेक है कि वह राशि किसकी मांग के आधार पर किन्हें राशि स्वीकृत करेंगे।

विधायक निधि की राशि में प्रभारी मंत्रियों की अनुशंसा को लेकर इस तरह का आरोप कोई नया नहीं है। इससे पहले भी प्रभारी मंत्री की अनुशंसा निधि को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगते रहे हैं। लेकिन ऐसे कामों से क्षेत्र के विकास प्रभावित होते हैं। ऐसे में प्रभारी मंत्रियों और किसी भी पार्टी के विधायकों के बीच आपसी सामंजस्य दिखना चाहिए। ताकि संबंधित विधानसभा का विकास किया जा सके।

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