Bharat Bandh: रायपुर। जब-जब देश में आरक्षण में परिवर्तन को लेकर कोई भी बात उठी है, उस पर सवाल उठे हैं, बवाल मचा है। इस बार भी देश की सुप्रीम अदालत ने ST-SC आरक्षण के भीतर क्रीमी लेयर और कोटे के भीतर कोटे को लागू करने बावत एक फैसला सुनाया, जिसके खिलाफ अनुसूचित जनजाति और दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया, जिसका पूरे देश में अलग-अलग असर रहा।
बंद के दौरान देश में कुछ जगहों पर हिंसा, संघर्ष, उपद्रव, लूटपाट, लाठीचार्ज जैसे हालात बने तो प्रदेश में लॉ-एंड-आर्डर की कोई सिचुएशन तो नहीं बनी। लेकिन, पक्ष-विपक्ष में इस पर बहस जरूर छिड़ गई की आखिर इस बंद की जरूरत क्या है, जबकि केंद्र ने सुप्रीम अदालत के फैसले पर पहले ही अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है। सवाल है क्या आज के भारत बंद को लिटमस टेस्ट की तरह देखा जाना चाहिए, क्योंकि ये कहा जा रहा है कि देश को अस्थिर करने की बड़ी साजिश रची जा रही है।
बुधवार को आरक्षण के मुद्दे पर भारत बंद का आव्हान किया। दलित संगठनों ने बुलाए भारत बंद का देशभर में मिलाजुला असर रहा। सबसे ज्यादा असर बिहार और राजस्थान में दिखा तो मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में इसका मिलाजुला असर रहा। दरअसल, आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने को फैसला सुनाया, जिसके विरोध में बंद बुलाया गया। बंद का छत्तीसगढ़ में काफी कम असर रहा। ऐहतियातन सभी शहरों में चौक-चौराहों पर पुलिस तैनात रही।
रायपुर-बिलासपुर में बंद का असर नहीं रहा, जबकि महासमुंद बंद कराने संयुक्त मोर्चा सड़कों पर उतरा, सबसे ज्यादा असर अंबिकापुर में रहा जहां प्रदर्शनकारी दुकानों को बंद कराने पहुंचे। इसी तरह लोरमी, बेमेतरा, सुकमा और कांकेर में भी आपातकालीन सेवाएं छोड़ बाजार और प्रतिष्ठान बंद रहे। आज के बंद को प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने देश को अराजकता में झोंकने का षड्यंत्र बताया, बंद के औचित्य पर सवाल उठाया तो पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने शर्मा पर जमकर पलटवार किया।
उधर, मध्य प्रदेश में राजधानी में बंद बेअसर रहा लेकिन इस दौरान छतरपुर में हिंसा और तनाव के हालत बनते दिखे जिसे पुलिस ने वक्त रहते कंट्रोल कर लिया। वहां प्रदर्शनकारियों ने दुकानों को लूटने और तोड़फोड़ की तो ग्वालियर-इंदौर में बंद का मिला जुला असर रहा। MP में भी बंद को लेकर पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप की सियासत दिखाई पड़ी।