India International Rice Summit 2025: ‘धान छत्तीसगढ़ की पहचान, इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाना है’.. रायपुर में इंडिया इंटरनेशनल राइस समिट 2025 का आयोजन पूरा..

स समिट में किसानों, वैज्ञानिकों, और विशेषज्ञों ने चावल उत्पादन, निर्यात, और ब्रांडिंग के नए उपायों पर विचार-विमर्श किया। साथ ही, वैश्विक बाजार में छत्तीसगढ़ के चावल की संभावनाओं पर भी विस्तृत चर्चा हुई।

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  • Publish Date - January 11, 2025 / 11:20 PM IST,
    Updated On - January 11, 2025 / 11:20 PM IST

India International Rice Summit 2025 : रायपुर: शहर के एक प्रतिष्ठित होटल में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल राइस समिट 2025 में देश-विदेश के विशेषज्ञ, किसान और व्यापारी बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में केंद्रीय खाद्य एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने किसानों के मान-सम्मान को बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, “देश के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र सरकार लगातार किसान हितैषी नीतियां लागू कर रही है।”

India International Rice Summit 2025 : मंत्री ने छत्तीसगढ़ की कृषि संपदा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह राज्य धान उत्पादन के लिए पूरे देश में विशेष स्थान रखता है और इसे ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है। यहां के चावल की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने के लिए वैल्यू एडिशन और ब्रांडिंग की आवश्यकता है। इससे किसानों और व्यापारियों को व्यापक लाभ होगा।

मुख्यमंत्री की भावुक अपील

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यक्रम में किसानों से जुड़ी अपनी भावनाओं को साझा किया। उन्होंने कहा, “धान छत्तीसगढ़ की पहचान है, और इस पहचान को अब हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाना है। हमारे राज्य में धान की इतनी प्रजातियां हैं, जिनका नाम तक कई लोगों को नहीं पता।”

India International Rice Summit 2025 : मुख्यमंत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं स्वयं किसान-पुत्र हूं। मैंने अपने हाथों से खेती की है और हल चलाया है। खेती का अनुभव मुझे बताता है कि हमारे प्रदेश में धान की ऐसी दुर्लभ और सुगंधित प्रजातियां हैं, जो अनमोल हैं। मेरे दादाजी, जो आज़ादी के समय मनोनीत विधायक थे, खुद भी खेती से गहराई से जुड़े रहे। वे जिस प्रकार का धान लगाते थे, उसकी खुशबू इतनी अद्भुत होती थी कि खेत से गुजरने वाले लोग इसे महसूस कर सकते थे।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने की आवश्यकता

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के चावल की विशेष प्रजातियों को संरक्षित और प्रचारित करने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य की कृषि संपदा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

India International Rice Summit 2025 : इस समिट में किसानों, वैज्ञानिकों, और विशेषज्ञों ने चावल उत्पादन, निर्यात, और ब्रांडिंग के नए उपायों पर विचार-विमर्श किया। साथ ही, वैश्विक बाजार में छत्तीसगढ़ के चावल की संभावनाओं पर भी विस्तृत चर्चा हुई।

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छत्तीसगढ़ के इस समृद्ध धरोहर को अंतरराष्ट्रीय पटल पर ले जाने के लिए कार्यक्रम में कई ठोस योजनाओं पर सहमति बनी। इंडिया इंटरनेशनल राइस समिट 2025 ने राज्य के किसानों को नई संभावनाओं और अवसरों का आश्वासन दिया।

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