रायपुर: प्रदेश में धान और किसान हमेशा सियासत के केंद्र में रहे हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार धान के मुद्दे के साथ ही चिटफंड को लेकर छत्तीसगढ़ भाजपा समेत केंद्र पर हमला बोलते रही है। (IBC24 Chhattisgarh ki Baat) 2018 में इन्हीं मुद्दों के दम पर कांग्रेस ने बंपर जीत दर्ज की और भाजपा 15 साल की सत्ता से बेदखल हो गई। लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार ने भी कांग्रेस की पिच पर बल्लेबाजी शुरू कर दी है.. यानी छत्तीसगढ़ में राज्य और केंद्र की क्रेडिट पॉलिटिक्स का शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। ऐसे में क्या इन मुद्दों पर छत्तीसगढ़ भाजपा के पास नहीं था कोई काट? क्या इससे भाजपा को मिलेगा लाभ? इसी पर करेंगे चर्चा, लेकिन पहले देखिए यह रिपोर्ट।
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धान के कटोरे में धान और किसान सबसे बड़ा सियासी मुद्दा है। इन्हीं के दम पर 2018 में सत्ता तक पहुंची कांग्रेस ने चुनावी साल में फिर से प्रति एकड़ धान खरीदी की सीमा बढ़ाई और समर्थन मूल्य पर सवा सौ लाख टन खरीदी का नया लक्ष्य भी लेकर चल रही है। वहीं चिटफंड में खून-पसीने की कमाई लुटा चुके प्रदेश के हजारों निवेशकों को। 80 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि लौटाकर राहत दी गई है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र ने इन दोनों मुद्दों पर कांग्रेस को मात देने के लिए नया दांव खेला है। मोदी सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ से इस साल 86 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदी करने का फैसला लिया गया है। जिसे भाजपा किसानों के पक्ष में मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक बता रही है। वहीं सालों से ‘सहारा’ में पैसा फंसाने वाले निवेशकों को भी राहत देते हुए रिफंड पोर्टल के माध्यम से पैसे लौटाए जा रहे हैं। भाजपा सहायता केंद्र भी खोल रही है।
प्रदेश की कांग्रेस सरकार धान खरीदी और चिटफंड निवेशकों की राशि वापसी का जोर-शोर से प्रचार प्रसार करती रही है। ऐसे में केंद्र के नए दांव पर वे उनकी मजबूरी गिना रहे हैं। CM भूपेश बघेल का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण केंद्र को ये फैसला लेना पड़ा है।
कभी धान और किसान के मुद्दे पर बैकफुट पर रही भाजपा अब इसे मोदी का मास्टरस्ट्रोक बता रही है। (IBC24 Chhattisgarh ki Baat) वहीं कांग्रेस कह रही है कि इन कवायदों से भाजपा को कोई फायदा नहीं होगा। तू डाल-डाल, मैं पात-पात के क्रेडिट पॉलिटिक्स ने जता दिया है कि शह-मात के खेल आने वाले दिनों में और रोमांचक होंगे।