Forest Rights Recognition Certificate: प्रदेश की जनजातियों को मिला वन अधिकार मान्यता पत्र, भूपेश सरकार की विशेष पहल से छत्तीसगढ़ बना अव्वल…

Forest rights recognition letter to the tribes of Chhattisgarh CM भूपेश बघेल ने अपने कार्यकाल में किए गए सारे वादों को पूरा कर दिखाया है।

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  • Publish Date - September 10, 2023 / 12:21 PM IST,
    Updated On - September 10, 2023 / 01:53 PM IST

Forest rights recognition letter: रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कार्यकाल में छत्तीसगढ़वासियों से किए गए सारे वादों को पूरा कर दिखाया है। सीएम बघेल ने सत्ता में आने के बाद से ही प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति का पूरा ध्यान रखा है। शहरीकरण से लेकर गांवों के विकास करने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतें भी पूरी की है। आज देश में छत्तीसगढ़ राज्य को एक नई पहचान मिली है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों को विकास की एक नई दिशा की ओर सीएम बघेल ने अग्रसर किया है।

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भूपेश सरकार की विशेष पहल से छत्तीसगढ़वासियों को वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान की गई। सीएम बघेल के इस सराहनीय प्रयासों से आज देश में नगरीय क्षेत्र में वन अधिकारों की मान्यता दिए जाने में छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सामुदायिक विकास से सशक्त बनाने के उद्देश्य से प्रदेशवासियों के लिए सीएम बघेल ने सराहनीय कार्य किए हैं। इसी कड़ी में प्रदेश के कुल 5 लाख 17 हजार 096 हितग्राहियों को वन अधिकार पत्र प्रदान किए जाने से ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई।

वनांचलों में निवासरत जन समुदाय को सीएम बघेल ने दी बड़ी राहत

वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत भूमिहीन आदिवासियों और परंपरागत वनवासियों को भूस्वामित्व देने के मामले में छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्य बन गया है। आजीविका के लिए वन भूमि पर आश्रित लोगों को वनाधिकार पट्टा देने का कानूनन अधिकार है, परंतु कुछ प्रावधानों के कारण कुछ वनवासियों को उनका अधिकार नहीं मिल पा रहा था। अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी अधिनियम 2006 प्रभावी होने के बावजूद जिले के कुछ निरस्त वनाधिकार आवेदक वनाधिकार पट्टे के लिए ग्राम सभा से लेकर जिला मुख्यालय तक चक्कर लगा रहे थे। लेकिन भूपेश सरकार की विशेष ​पहल से यह भी इन वनांचलों को आज अधिकार मिल पाया है।

भूपेश सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र प्रदाय करने में छत्तीसगढ़ राज्य देश में प्रथम स्थान पर है। इसके अंतर्गत हितग्राहियों के समग्र विकास के लिए भूमि समतलीकरण, जल संसाधनों का विकास तथा क्लस्टर के माध्यम से हितग्राहियों को अधिकाधिक लाभ के उद्देश्य से अनेक योजनाओं के माध्यम से मदद पहुंचाई गई है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य भी किया गया घोषित

इसी कड़ी में प्रदेश में सामुदायिक वन अधिकार अंतर्गत कुल 46000 प्रकरणों को मान्यता प्रदान की गई है, जो कि पुनः देश में सर्वाधिक है। वन अधिकार पत्र के अंतर्गत वनांचलों में निवासरत जन समुदाय को विभिन्न प्रकार के निस्तार संबंधी अधिकार जैसे गीण वन उत्पाद संबंधी अधिकार मछली व अन्य जल उत्पाद तथा चारागाह अधिकार विशेष पिछड़ी जाति एवं समुदायों, कृषकों को आवास अधिकार, सभी वन ग्रामों पुराने रहवास क्षेत्रों, असर्वेक्षित ग्राम आदि को राजस्व ग्राम में बदलने के अधिकार, आदि शामिल है। इसके अलावा वनांचल क्षेत्र में पाये जाने वाले लघु वनोपज संग्रहण के लिये 67 प्रजातियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित किया गया है।

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वनांचलों को मिला सम्मान से जीने का अधिकार

Forest rights recognition letter: वन अधिकार अधिनियम के प्रावधान अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी परिवारों को उनके अधिकार, स्वावलंबन और सम्मान का जीवन दिलाने के लिए हैं। सामुदायिक वन अधिकार के अंतर्गत निस्तार, लघु वनोपज का स्वामित्व, मछली और जल निकायों के उत्पादों पर उपयोग का अधिकार, चराई, विशेष रूप कमजोर जनजाति समूह एवं कृषि पूर्व समुदायों के पर्यावास का अधिकार दिया गया है।

इसी कड़ी में भूपेश सरकार ने 05 जिलों के 36 गांवों में कृषि के उन्नत तकनीक एवं प्रसंस्करण के विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही रिक्त स्थानों पर कार्य आयोजना के प्रावधानों को प्रबंध योजना में एकीकृत करते हुए स्थानीय प्रजातियों के लिये वृहद रोपण के लिए योजना तैयार की जा रही है। प्रदेश में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार अधिनियम अंतर्गत राज्य के 24 जिलों में लगभग 106 प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है, जिसमें कुल 5492 हितग्राही लाभान्वित हुए हैं।

 

 

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