CG Ki Baat/ Image Credit: IBC24
रायपुर। CG Ki Baat: देश के गृहमंत्री ने दो टूक कह दिया है कि, बस्तर में अमन लाने के लिए जवान एक-एक सशस्त्र नक्सली को चुन-चुन कर खत्म करेंगे। वो भी एक साल के भीतर। सरकार के इसी संकल्प के लिए जवान अपना खून बहा रहे हैं। दूसरी ओर सियासी अखाड़े में इस पर भी अवसरवादी सियासत होती नज़र आ रही है । कांग्रेस ने नक्सली सफाए को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है और यहां तक कह दिया है कि उद्योगपतियों के लिए बस्तर में सफाई अभियान चल रहा है । सवाल ये है कि नक्सल मुद्दे पर जबकि अच्छी खबरें आ रही हैं तो उसे भी विवादित बनाने का तुक क्या है और सवाल ये भी कि उद्योगपति अगर बस्तर आते भी हैं तो कांग्रेस को इसमें कोई समस्या क्यों दिख रही है?
तो देश के गृहमंत्री अमित शाह ने, राज्यसभा में, अगले साल 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद के पूर्ण सफाए का दावा दोहराया डिटेल बताई की कैसे नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में किस तरह सफलता मिल रही है। ये भी नहीं भूलना चाहिए कि ये सफलता जांबांज जवानों की शहादत की बदौलत है, उनके सतत ऑपरेशन की बदौलत है, देश-प्रदेश की सरकार के फ्री-हैंड और साथ की बदौलत इन दिनों फोर्स के जवान, नक्सलियों पर बनकर टूट रहे हैं। साल 2024 में सुरक्षा बलों ने 300 सशस्त्र नक्सलियों को ढेर किया, 1000 नक्सलियों ने सरेंडर किया, इस साल महज तीन महीनों में ही जनवरी से अब तक हर महीने बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन लॉन्च किए गए औसतन 50 हथियार बंद नक्सली हर महीने मारे जा रहे हैं, इससे दोगुने समर्पण कर रहे हैं।
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20 मार्च को ही बीजापुर और कांकेर में दो अलग-अलग जगह हुए एंकाउंटर में 30 नक्सलियों को मार गिराया। देशभर में इस सफलता को सराहा गया लेकिन लगता है कांग्रेस को ये बात रास नहीं आई, कम से कम सदन में विपक्ष के नेता डॉ चरणदास महंत की प्रतिक्रिया तो ऐसी ही रही। डॉ महंत ने सवाल उठाया कि क्या ये बस्तर में औद्योगिक घराने के लिए रेट कारपेट बिछाने की तैयारी है ? वैसे ये पहली बार और अनायास प्रतिक्रिया भी नहीं है। इससे पहले भी इस तरह के बयान आते रहे हैं। डॉ महंत पहले भी नक्सलवाद के खात्मे के बाद बस्तर में औद्योगिक घराने की एंट्री का डर जता चुके हैं। इसके अलावा अक्सर विपक्ष फर्जी मुठभेड़ की बात भी करता रहा है। विपक्ष की इस प्रतिक्रिय को प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने बेहद शर्मनाक बताते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष भ्रम फैलाने का पाप कर रहे हैं।
CG Ki Baat: सवाल ये है कि, क्यों विपक्ष बार-बार हर बार मुठभेड़ के बाद एंटी नक्सल मुहिम पर सवाल उठाता है, डॉ महंत का बयान क्या कांग्रेस का आधिकारिक बयान है क्योंकि अब तक उसका कोई खंडन नहीं किया गया। क्या नक्सलवाद के खात्मे जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी सियासत करना उचित है ? सबसे बड़ा सवाल विपक्ष को रेड कॉरिडोर का हिस्सा रहे बस्तर में नक्सल सफाए से ज्यादा फिक्र उद्योग पतियों के लिए रेड कार्पेट बिछाने की है ?