Bastar Dussehra 2023 रायपुर। बस्तर दशहरा उत्सव की 600 साल पुरानी परंपरा निभाई गई। यह पर्व 107 दिनों तक मनाया जाएगा। इस दौरान बस्तर ज़िले के जगदलपुर शहर में बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के मंदिर के निकट डेरी गड़ाई की रस्में निभाई गई। बता दें कि विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा वर्ष 2023 पूर्व वर्ष की भांति पूजा विधान डेरी गड़ाई का कार्यक्रम 27 सितंबर को सिरहासार भवन में दोपहर 11 बजे आयोजित किया गया है। इस पर्व में विभिन्न पूजा विधानों के दौरान आगामी 14 अक्टूबर को काछनगादी पूजा विधान, 15 अक्टूबर को कलश स्थापना एवं जोगी बिठाई रस्म पूरी की जायेगी।
#WATCH छत्तीसगढ़: बस्तर दशहरा उत्सव की 600 साल पुरानी परंपरा निभाई गई। यह पर्व 107 दिनों तक मनाया जाएगा ।
इस दौरान बस्तर ज़िले के जगदलपुर शहर में बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के मंदिर के निकट डेरी गड़ाई की रस्में निभाई गई । (27.09) pic.twitter.com/AhaO8nsuic
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 27, 2023
वहीं 21 अक्टूबर को बेल पूजा और रथ परिक्रमा विधान, 22 अक्टूबर को निशा जात्रा एवं महालक्ष्मी पूजा विधान, 23 अक्टूबर को कुंवारी पूजा विधान, जोगी उठाई और मावली परघाव पूजा विधान होगी। ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व के दौरान 24 अक्टूबर को भीतर रैनी पूजा एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान, 26 अक्टूबर को काछन जात्रा तथा 27 अक्टूबर को कुटुम्ब जात्रा पूजा विधान पूरी की जाएगी और 31 अक्टूबर को दशहरा होगा।
Bastar Dussehra 2023 : हरेली अमावस्या यानी पाट जात्रा के दिन पहली लकड़ी लाई जाती है और उसके बाद बस्तर दशहरा की दूसरी रस्म डेरी गड़ाई पूजा विधान के बाद अन्य लकड़ियों को लाया जाता है। डेरी गड़ाई की रस्म के बाद माचकोट के जंगल से लाई गई लकड़ियों से माई दंतेश्वरी का रथ निर्माण कार्य शुरू होगा। बस्तर दशहरा में रथ निर्माण के लिए केवल साल और तिनसा प्रजाति की लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। तिनसा प्रजाति की लकड़ियों से पहिए का एक्सल बनाया जाता है और रथ निर्माण के बाकी सारे कार्य साल की लकड़ियों से पूरा किया जाता है।
विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा करीब 600 साल पुरानी परंपरा है। रियासत कालीन परंपरा को आज के आधुनिक युग में भी पूरे रीति रिवाज के साथ मनाया जाता है। बस्तर दशहरा पर्व देखने देश विदेश से भी सैलानी जगदलपुर पहुंचते हैं।