Reported By: Rajesh Raj
,रायपुर: Dantewada Eye Surgery Case News: पूरे देश में जहां एक ओर दिवाली पर दीए जलाकर घरों को रौशन करने की तैयारी चल रही है तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही के चलते कई लोगों के आखों की रौशनी हमेशा के लिए जा सकती है। दरअसल दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में हुई आई सर्जरी के बाद 10 से अधिक मरीजों की आंखों से पस आने लगा था। वहीं, आज एक और मरीज को भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि 10 में से सिर्फ दो या तीन मरीजों की आंखें की रौशनी वापस आ सकती है। यानि ये तय है कि 10 मरीजों की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा छाने वाला है। बता दें कि करीब 13 साल पहले भी ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें करीब पांच दर्जन लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी।
Dantewada Eye Surgery Case News: दरअसल बीते मंगलवार 18 अक्टूबर को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में 20 मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के अगले दिन दस मरीजों की आंखों में इंफेक्शन हो गया, आंखों में पस आना और खुजलाहट जैसी परेशानी होने लगी। वहीं, मामले की जानकारी होने पर सभी मरीजों को आनन-फानन में रायपुर शिफ्ट किया गया। बताया गया कि यहां इन मरीजों का फिर से ऑपरेशन किया गया है, लेकिन अब मामला हाथ से निकल चुका है। बताया जा रहा है कि करीब 10 से अधिक मरीजों की आंखों की रौशनी लौटने की संभावना नहीं के बराबर है। कहा ये भी जा रहा है कि एक दो मरीजों के आई बॉल को भी निकालने की नौबत आ सकती है। फिलहाल सभी मरीजों का मेकाहारा में उपचार जारी है।
बता दें कि साल 2011 में भी छत्तीसगढ़ में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान ऐसी ही लापरवाही देखी गई थी। प्रदेश के 2 सरकारी शिविरों में मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान लापरवाही के चलते करीब पांच दर्जन लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। बालोद में 48, बागबाहरा में 12, राजनांदगांव-कवर्धा में 4-5 लोग इसके शिकार हुए। इस मामले में दुर्ग सीएमओ समेत बालोद बीएमओ, तीन नेत्र सर्जन आदि सस्पेंड हुए थे। इसे आंखफोड़वा कांड भी कहा गया।