Reported By: Rajesh Raj
,रायपुर: Grand Vision owner Gurcharan Singh Hora Corruption exposed रायपुर में ग्रैंड विजन केबल नेटवर्क की मनमानी का लगातार खुलासा हो रहा है। विद्युत विभाग के रायपुर सर्कल 2 में इसकी धाँधली और राजस्व चोरी के खुलासे के बाद सर्कल 1 में भी इसके भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। केबल नेटवर्क के संचालक गुरुचरण सिंह होरा की रसूख और मनमानी का आलम ये है कि यहां भी बिना कोई एग्रीमेंट किए, और बिना कोई सर्वे रिपोर्ट जमा कराए विद्युत विभाग के खंभे का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ग्रैंड विजन उर्फ ग्रैंड जेंटल नाम से केबल नेटवर्क चला रहे गुरुचरण सिंह होरा की मनमानी और उसकी धांधली का एक के बाद एक कई खुलासे हो रहे हैं। विद्युत विभाग के रायपुर सर्कुल 2 में बिना कोई एग्रीमेंट किए, और बिना कोई शुल्क पटाए करीब डेढ़ दशक से बिजली खंभों के इस्तेमाल की धांधली फूटने के बाद सर्कल 1 में भी उसकी बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है।
ग्रैंड विजन यहां मनमानी तरीके से बिजली खंभों का इस्तेमाल कर रहा है। सर्कल 1 कार्यायल से मिली जानकारी के मुताबिक, ग्रैंड विजन यहां 2500 बिजली खंभों के इस्तेमाल के एवज में 3.10 लाख रुपये सालाना का शुल्क पटा रहा है, लेकिन ये आंकड़ा ही अपने आप में गंभीर भ्रष्टाचार की ओर ईशारा कर रहा है। बिजली खंभों के इस्तेमाल को लेकर ग्रांड विजन और बिजली विभाग की टीम की कोई सर्वे रिपोर्ट कार्यालय में जमा कराई गई है।
नियमत: हर साल सर्कल 1 कार्यालय और ग्रैंड विजन के बीच एग्रीमेंट होना था, लेकिन पिछले 13 सालों से ग्रैंड विजन ने बिजली विभाग से कोई एग्रीमेंट नहीं किया है। यानी बिना ज्वाइंट सर्वे के और बिना किसी एग्रीमेंट के ग्रैंड विजन ने मनमर्जी तरीके से इस्तेमाल होने वाले विद्युत पोलों की संख्या बताई, और बहुत छोटी सी रकम पटाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया। उसकी ये मनमानी एक, दो, चार, पांच या दस सालों से नहीं, बल्कि 13 सालो से चली आ रही है।
रायपुर शहर का करीब 80 फीसदी हिस्सा सर्कल 1 में आता है। करीब 16 लाख की आबादी इसी में बसती है। इन आबादी तक अपना केबल पहुंचाने के लिए टेलीकम्युनिकेशन कंपनी जियो 40 हजार पोल का इस्तेमाल कर रही है। एयरटेल 35,200 विद्युत पोल का इस्तेमाल करती है, लेकिन हर गली मोहल्ले तक केबल नेटवर्क चलाने वाली ग्रैंड विजन कंपनी सिर्फ 2500 पोल का इस्तेमाल करना बता रही है। ये संभव ही नहीं लगता। वैसे भी बिना ज्वाइंट सर्वे के, इस आंकड़े की कोई विश्वसनीयता नहीं बनती। यानी, कुल मिलाकर रसूख, धौंस और मनमानी का पूरा खेल चल रहा है।