Congress On Naxalism: ‘क्या नक्सलियों की भाषा बोल रहे कांग्रेस के नेता?’.. गृहमंत्री विजय शर्मा ने किस बयान के बाद लगाए ऐसे आरोप, आप भी पढ़ें

सरकार का मानना है कि बस्तर को विकास की सख्त जरूरत है, और नक्सलवाद इस विकास में सबसे बड़ी बाधा है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर मार्च 2026 तक न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश से वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही हैं।

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  • Publish Date - January 22, 2025 / 06:33 PM IST,
    Updated On - January 22, 2025 / 06:33 PM IST

Congress’s stand on the anti-Naxal action of the government : रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में सरकार पूरी ताकत से प्रयासरत है। इसकी झलक नए साल के पहले महीने में ही देखने को मिल रही है। अभी जनवरी का अंत भी नहीं हुआ है, और सुरक्षाबलों ने मात्र 22 दिनों के भीतर करीब 50 हथियारबंद माओवादियों को मार गिराया है। सरकार के इस नक्सल उन्मूलन अभियान पर कांग्रेस की भी नजर बनी हुई है। हालांकि, कई बार कांग्रेस ने पुलिस और सुरक्षाबलों की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं।

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इस बीच, प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. चरणदास महंत के एक बयान ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है।

बस्तर और उद्योगपतियों पर बयान

Congress’s stand on the anti-Naxal action of the government : डॉ. महंत ने अपने बयान में कहा था कि यदि नक्सलवाद समाप्त होता है, तो बस्तर को उद्योगपतियों के हाथों में नहीं सौंपा जाना चाहिए। उनके इस बयान पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। डिप्टी सीएम शर्मा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस वही बातें कर रही है जो नक्सली कहते हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “देश के अन्य हिस्सों में भी उद्योगपति हैं, लेकिन वहां क्या समस्या हुई? फिर बस्तर में ही क्यों उद्योगपतियों को लेकर मुद्दा बनाया जा रहा है?”

क्या है नक्सलियों का आरोप?

बस्तर में लंबे समय से नक्सली अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए हिंसक वारदातें करते रहे हैं। वे सरकार पर आरोप लगाते हैं कि नक्सलवाद के खात्मे के नाम पर बस्तर के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण किया जा रहा है। नक्सली संगठन अपने प्रेस नोट में यह दावा भी करते हैं कि पुलिस और सुरक्षाबल निर्दोष आदिवासियों को माओवादी बताकर उनकी हत्याएं कर रहे हैं और उनके साथ अत्याचार कर रहे हैं।

Congress’s stand on the anti-Naxal action of the government : हालांकि, केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियां इस मुद्दे पर स्पष्ट हैं। सरकार लगातार नक्सलियों से आत्मसमर्पण की अपील कर रही है। उन्होंने यह भी वादा किया है कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के पुनर्वास, रहन-सहन और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सरकार उठाएगी।

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विकास और नक्सलवाद का संघर्ष

सरकार का मानना है कि बस्तर को विकास की सख्त जरूरत है, और नक्सलवाद इस विकास में सबसे बड़ी बाधा है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर मार्च 2026 तक न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश से वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही हैं। बस्तर में नक्सलवाद का खात्मा केवल सुरक्षा का सवाल नहीं, बल्कि वहां के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की एक बड़ी पहल है।

नक्सलवाद क्या है?

नक्सलवाद एक वामपंथी उग्रवादी आंदोलन है, जो मुख्य रूप से भारत के कुछ हिस्सों में सक्रिय है। इसका उद्देश्य समाजवादी व्यवस्था स्थापित करना है, लेकिन यह हिंसात्मक गतिविधियों के माध्यम से संचालित होता है।

बस्तर में नक्सलवाद क्यों फैला हुआ है?

बस्तर में नक्सलवाद का कारण क्षेत्र में गरीबी, अशिक्षा, और आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी है। यहां प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता भी इसे नक्सलियों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है।

सरकार नक्सलवाद को खत्म करने के लिए क्या कर रही है?

सरकार सुरक्षा बलों के अभियानों, आत्मसमर्पण नीतियों, और विकास परियोजनाओं के माध्यम से नक्सलवाद को खत्म करने की कोशिश कर रही है।

नक्सलवाद का बस्तर के विकास पर क्या प्रभाव है?

नक्सलवाद बस्तर के विकास में बड़ी बाधा है। इसका कारण हिंसा और अस्थिरता है, जो निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास को रोकती है।

क्या नक्सलवाद खत्म करने के बाद बस्तर के प्राकृतिक संसाधन सुरक्षित रहेंगे?

सरकार ने आश्वासन दिया है कि नक्सलवाद खत्म होने के बाद भी बस्तर के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग वहां के लोगों के विकास और उनके अधिकारों की रक्षा के साथ किया जाएगा।