CM Bhupesh gave status to silkworm rearing and beekeeping: रायपुर। भारत में ग्रामीण विकास की वर्तमान रणनीति मुख्य रूप से गरीबी उन्मूलन, बेहतर आजीविका के अवसर, मजदूरी और स्वरोजगार के नवीन कार्यक्रमों के माध्यम से बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान पर केंद्रित है। इसी कड़ी में सीएम भूपेश बघेल प्रदेश में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए रेशम कीट पालन एवं मधुमक्खी पालन का दर्जा देकर ग्रामीणों क दिल जीत लिया है। इससे किसानों को काफी लाभ होगा और ग्रामीण महिलाएं अपना व्यवसाय शुरू कर सकेंगी। सीएम बघेल का उदेश्य है कि परंपरागत व्यवसाय को लाभकारी बनाना है, चाहे वह शिक्षा, रोजगार एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो सभी क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है।
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सीएम बघेल ने प्रदेश के किसानों के लिए स्वतंत्रता दिवस पर बड़ी सौगात दी है। अब किसान अपने कृषि उद्योग में विस्तार कर सकेंगे साथ ही रोजगार के लिए उनको भूपेश कका की तरफ से नया अवसर मिला है। छत्तीसगढ़ में मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से मछली पालन के लिए सुविधाओं में जहां वृद्धि हुई हैं, वहीं इस व्यवसाय से प्रदेश में कई महिला स्व-सहायता समूह जुड़ रही हैं। इससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है। मछली पालन के कृषि का दर्जा दिये जाने के सकारात्मक परिणामों को देखते हुये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में अब रेशम कीट पालन एवं मधुमक्खी पालन को भी कृषि का दर्जा देने की भी घोषणा कर दी है।
खेती अगर पारंपरिक तौर तरीकों से अलग हटकर आधुनिक तरीके से की जाए तो वो फायदे का सौदा साबित हो सकती है। आज के दौर में ऐसे कई उद्योग हैं जिन्हें कृषि के साथ बढ़ रहे हैं। इस लिस्ट में रेशम उद्योग भी शामिल है। यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आप रेशम के कीड़ों द्वारा रेशम का उत्पादन कर अच्छी कमाई कर सकते हैं। वहीं भूपेश सरकार की मदद से प्रदेश में मधुमक्खी पालन के लिए किसानों का रुझान बढ़ाया गया। इसके लिए पहली बार केंद्र सरकार के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने प्रदेश के अंबिकापुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में पहला समन्वित मधुमक्खी पालन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है।
भूपेश सरकार सहकारिता के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था की दिशा में बदलाव लाने में भी सफलता प्राप्त की है। जो अर्थव्यवस्था पहले शहरों से गांवों की ओर बहती थी, आज वह गांवों से शहरों की ओर बह रही है। दूध का उत्पदान बढ़ाने से लेकर धान का उत्पादन बढ़ाने और नये रिकॉर्ड कायम करने में ग्रामीणों को सफलता मिली है। अगर हम रेशम पालन की बात करें तो छत्तीसगढ़ में कोसा उत्पादन एवं कोसा वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में निरंतर प्रगति कर रहा है।
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भूपेश सरकार द्वारा वन आधारित ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने के संकल्प की प्रति पूर्ति के लिए रेशम प्रभाग द्वारा ग्रामीण अंचलों में स्थानीय रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ कच्चे टसर रेशम की मांग की आपूर्ति हेतु सतत् प्रयत्नशील है। वहीं सीएम भूपेश बघेल की विशेष पहल से रेशम प्रभाग द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण अंचल में निवास कर रहे अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के निर्धन परिवारों को स्व रोजगार उपलब्ध कराते हुए स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित किया जा रहा है।
CM Bhupesh gave status to silkworm rearing and beekeeping: शहतूत उद्यान प्रबंधन, पत्तियों की कटाई और रेशमकीट पालन से लेकर रेशम उत्पादन की सभी गतिविधियां महिलाओं द्वारा आसानी से की जाती हैं और कोकून के बाद रेशम की रीलिंग, ट्विस्टिंग और बुनाई जैसी गतिविधियां भी महिलाएं आसानी से संभाल लेती हैं। महिलाएं अपने मेहनती स्वभाव के कारण सबसे अधिक पसंद की जाती हैं। रेशम रीलिंग, बुनाई और परिधान निर्माण उद्योग से महिलाओं की भागीदारी अधिक है। वहीं सहायता समूह की मदद से महिलाओं ने मधुमक्खी पालन शुरू कर प्रकृति के साथ प्रगति की ओर कदम बढ़ाया है।