Chhattisgarhi Culture: छत्तीसगढ़ी भाषा-संस्कृति को सहेज रही भूपेश सरकार, देश-विदेश में मिल रहा नया पहचान…

Chhattisgarhi culture reached London छत्तीसगढ़ की परंपराओं को बनाए रखने के लिए सीएम बघेल की अनोखी पहल रही है।

  •  
  • Publish Date - August 28, 2023 / 12:54 PM IST,
    Updated On - August 28, 2023 / 12:54 PM IST

chhattisgarhi culture: रायपुर। छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति बहुआयामी है। वनों से ढका हुआ और आदिवासी अधिकता के कारण यहां की कला में वनों, प्रकृति, प्राचीन और परंपरा का विशेष स्थान और महत्व है। छत्तीसगढ़ की कला में हमें कई प्रकार के लोक नृत्य, जातियां, लोक कला, मेले, भाषा, शिल्प और विशेष व्यंजन देखने को मिलते हैं। प्रदेश में यहां के आभूषणों, वस्त्रों का विशेष स्थान है जो यहां की संस्कृति को और प्रभावशाली और समृद्ध बनाती हैं।

सरल जीवन जीते हुए यहां के लोग अपनी परम्परा, रीति रिवाज और मान्यताओं का पालन करते हैं। छत्तीसगढ़ को विरासत में मिली इस संस्कृति को संजोए रखने के लिए सीएम भूपेश बघेल ने सराहनीय कार्य किए हैं। प्रदेशवासियों को उनकी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए भूपेश सरकार ने कई योजनाएं लाई, जिससे लोग आज काफी खुश हैं। छत्तीसगढ़ की परंपराओं को बनाए रखने के लिए सीएम बघेल की अनोखी पहल रही है।

Read more: RIPA Scheme: सीएम भूपेश बघेल ह बदलिस महिला मन के तकदीर, रीपा ले हजारों महिला मन के जनजीवन में आइस सुधार 

कोने-कोने तक पहुंची छत्तीसगढ़ी संस्कृति

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं किसान के बेटे हैं, इसलिए वे छत्तीसगढ़वासियों को अच्छी तरह समझते हैं। उनकी जरूरतें पूरी करने ​के लिए सीएम बघेल हमेशा से तत्पर रहे हैं। सीएम बघेल ने जब से छत्तीसगढ़ की सत्ता संभाली है, तब से वे प्रदेश की संस्कृति, तीज-त्यौहार और परंपराओं को सहेजने और संजोने में लगे हुए हैं। सीएम भूपेश ने एक ओर जहां हरेली, तीजा, पोरा सहित अन्य त्योहारों को प्राथमिकता देकर उनकी लोकप्रियता देश के कोने-कोने तक पहुंचा रहे हैं तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में खेले जाने वाले गिल्ली-डंडा, बांटी, भौरा, कबड्डी जैसे परंपरागत खेलों को बढ़ावा देने में लगे हैं। इन खेलों को आने वाली पीढ़ी भूल न जाए इसलिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन भी किया।

विदेशी धरती में छत्तीसगढ़िया ने फहराया तिरंगा

अभी हाल ही में भूपेश कका की विशेष पहल से लंदन की धरती पर भारतीय स्वतंत्रता की वर्षगांठ बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। ‘हाय..डारा लोर गेहे रे…’ गीत के साथ ‘लाली परसा बन म फुले और मउंहा झरे रे..’ जैसे ख्यातनाम छत्तीसगढ़ी गीतों पर यहां के लोगों ने छत्तीसगढ़ मूल के रहवासियों के साथ नृत्य किया। भारतीय स्वतंत्रता की याद में आयोजित विदेशी धरती के समारोह में तिरंगा फहराने छत्तीसगढ़ियों ने एक-दूसरे को बधाई दी और मिठाईयां भी बांटी। समारोह में छत्तीसगढ़ी संस्कृति और समृद्धि का बेजोड़ प्रस्तुतिकरण किया गया। लंदन में आयोजित इस समारोह के आयोजन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अद्वितीय योगदान रहा, आयोजकों ने मुख्यमंत्री के सहृदयता के लिए आभार संदेश भेजा है।

जनजातीय संस्कृति को आगे लाने का प्रयास कर रही भूपेश सरकार

छत्तीसगढ़ में सम्पूर्ण भारत की कई जातियां निवास करती हैं और यहां बहुत से आदिवासी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियां व पिछड़ा वर्ग भी निवास करते हैं, जिनमें अघरीया, बिंझवार, उरांव, गोंड, भतरा, हल्बा, सवरा, कंवर आदि प्रमुख जनजातियां हैं। बैगा, पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया, कमार, बिरहोर प्रमुख विशेष पिछड़ी जातियां हैं। इनके अनुसार अन्य जनजाति समूह भी यहां निवास करती हैं लेकिन इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है।

छत्तीसगढ़ की जनजातीय एवं लोक संस्कृति की परंपरा की पहचान के लिए निरंतर पहल की जा रही है। कला रूपों के प्रदर्शन हेतु राज्य में एवं अन्य प्रदेशों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की व्यवस्था की जाती है। पारंपरिक उत्सवों, अशासकीय संस्थाओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

Read more: Bijli Bill Half Yojana: भूपेश सरकार ने रौशन कर दी लाखों जिंदगियां…! भारी-भरकम बिजली बिल से उपभोक्ताओं को मिली राहत 

सीएम बघेल ने प्रदेश की कला को निखारा

किसी भी राज्य की कला वहां के राज्य, प्रदेश के नाच और गीतों के साथ वहां के आम जीवन, वस्तुओं, लोक कलाओं से भी समझी जा सकती है। छत्तीसगढ़ में लौह शिल्प कला, गोदना कला, बांस कला, लकड़ी की नक्काशी कला काफी प्रसिद्ध हैं। छत्तीसगढ़ में कला का क्षेत्र अति व्यापक है यहां सिरपुर महोत्सव, राजिम कुंभ, चक्रधर समारोह और बस्तर लोकोत्सव आदि जैसे सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन किया जाता है, जो छत्तीसगढ़ राज्य के महान और जीवंत सांस्कृतिक को प्रदर्शित करते हैं।

लंदन को भाया छत्तीसगढ़ की संस्कृति

chhattisgarhi culture: भारत के विभिन्न राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, तमिलनाडु से एनआरआई और प्रवासी नागरिकों ने अपने स्टॉल लगाए। छत्तीसगढ़ का स्टॉल सर्वाधिक लोकप्रिय रहा। छत्तीसगढ़ पीपल्स एसोसिएशन ने आगंतुकों को छत्तीसगढ़ के पर्यटक आकर्षणों, यहां के प्राकृतिक संसाधनों और निवेश के अवसरों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ पर्यटन का वीडियो दिखाया गया। भारत के उच्चायुक्त ने छत्तीसगढ़ स्टाल का दौरा किया और प्राकृतिक सुंदरता से आश्चर्यचकित हुए।

 

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें