CG Politics: रायपुर। प्रदेश की साय सरकार ने शुक्रवार को पिछली कांग्रेस सरकार का जमीन आवंटन से जुड़ा फैसला पलटते हुए कांग्रेस शासनकाल में बांटी गई सरकारी जमीनों के आवंटन की जांच करने का आदेश दिया है। साय सरकार का दावा है कि पिछली सरकार ने अपनों को लाभ पहुंचाने जमीनों की जमकर बंदबांट की। अब एक-एक आवंटन का हिसाब होगा तो कांग्रेस का कहना है कि आवंटन तो रमन काल में भी हुआ, उसकी भी जांच करवाएंगे? सवाल ये है कि फैसले से जमीनी हालात कितने बदलेंगे, सवाल ये भी क्या ये महज सियासी दबाव के लिए उठाया गया कदम है या फिर अनियमितता की जांच के बाद बंदरबांट करने वाले वाकई नापे जाएंगे ?
साल 2019, 2020 में तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार ने कई परिपत्रों के जरिए शहरी क्षेत्रों में नजूल, सरकारी और यहां तक की सरकारी अतक्रमित जमीनों का मालिकाना हक लोगों को दिया है। शुक्रवार को साय कैबिनेट ने पूर्व सरकार के वक्त जारी तमाम परिपत्रों को रद्द करते हुए पिछली सरकार के समय आवंटित सभी सरकारी जमीनों की जांच का ऐलान किया। बीजेपी सरकार का आरोप है कि इन परिपत्रों के जरिे कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की बेशकीमती सरकारी जमीन की अपने चहेतों के बीच बंदरबांट की है।
साय सरकार ने ना सिर्फ पूर्व के सर्कुलरों को रद्द किया है, बल्कि राजस्व विभाग की वेबसाइट पर उन तमाम आवंटनों की लिस्ट भी जारी करने का ऐलान किया है, जो इन नियमों के तहत किए गए। साय सरकार का फैसला है कि अगर कोई शिकायत करता है तो संभाग आयुक्त उसकी जांच करेंगे। नियम विरुद्ध आवंटन मिलने पर उसे फौरन रद्द किया जाएगा। इधऱ, कांग्रेस ने सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए पूछा है कि जमीनें तो रमन सरकार के वक्त भी बांटी गई थीं तो क्या अब साय सरकार उन जमीनों का आवंटन भी रद्द करेगी।
विभागीय जानकारी के मुताबिक, बीते 5 सालों में शासन और कलेक्टर ने 259 केस में 195 एकड़ सरकारी जमीनें लोगों को अलॉट कीं, अरबों की ये जमीनें महज 55 करोड़ में बांटी गई। इसकी प्रक्रिया में भी जमकर खेल हुआ, सरकारी जमीनों की ऑक्शन तो कराई गई, लेकिन गुपचुप तरीके से लोग आए, गुपचुक तरीके से बेस रेट तय कर जमीनें अलॉट कर दी गईं। इसमें कई कांग्रेस नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं।
शहरों की अतिक्रमित सरकारी जमीनों को भी बेचा गया। आंकड़े के मुताबिक, शासन ने करीब 7 एकड़ और कलेक्टर के जरिए करीब 2639 एकड़ जमीन बेची गई, जिसकी कुल कीमत करीब 300 करोड़ है। जाहिर है, जैसे ही आवंटित जमीनों का डेटा सामने आएगा तो कई सफेदपोश और सियासी शख्सियतों की कलई खुल सकती है। यानि आने वाले दिनों में इस पर सियासी बखेड़ा बढ़ना तय लगता है।