CG Ki Baat : रायपुर। लोकसभा चुनाव में पहले चरण का चुनाव प्रचार थम चुका है। इसके ठीक 2 दिन पहले छत्तीसगढ़ पुलिस और BSF ने एक बड़ा नक्सली एनकाउंटर किया। 29 नक्सलियों के मारे गए। अत्याधुनिक हथियार पकड़े गए, पूरे देश में खबर सुर्खियों में है। प्लानिंग, एग्जीक्यूशन से लेकर इच्छाशक्ति को लेकर पुलिस जवानों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ सरकार की भी पीठ थपथपाई जा रही है। लेकिन, कांग्रेस ने इस मुठभेड़ पर सवाल उठाकर बहस का नया मोर्चा खोल दिया है। पूर्व CM ने भाजपा शासनकाल में फेक एनकाउंटर का आरोप लगाते हुए, मुठभेड़ के सच्चे होने के सुबूत मांगे हैं। वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने इसे जवानों का अपमान, भ्रम फैलाने की आदत बताते हुए लगाए गए आरोपों पर कांग्रेस से सुबूत देने कहा है। क्या इस संवेदनशील मसले पर भी ये सुबूत वाली सियासत जायज है?
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के ठीक पहले छत्तीसगढ़ पुलिस और BSF नें संयुक्त ऑपरेशन कर कांकेर के छोटे बेटिया इलाके में नक्सलियों को उन्हीं की मांद में घेरकर उनका सफाया कर दिया। इस एनकाउंटर में इनामी नक्सली शंकर राव, ललिता और राजू समेत कुल 29 नक्सली ढेर हो गए। इनके पास से AK-47, इंसास, SLR, 303 रायफल समेत कई आधुनिक हथियार मिले हैं। देशभर में इस मुठभेड़ के बाद BSF-छग पुलिस और प्रदेश सरकार की तारीफ की जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश के पूर्व CM भूपेश बघेल और PCC चीफ ने चुनावी माहौल में इस पर मुठभेड़ पर सवाल उठाकर इसे सियासी मुद्दा बना दिया है।
पूर्व CM भूपेश बघेल के मुताबिक, भाजपा शासनकाल में फर्जी एनकाउंटर होते रहे हैं। बीते 4 माह में कई आदिवासियों को डरा-धमका कर गिरफ्तार किया गया। वहीं, PCC चीफ प्रदेश पुलिस और BSF जवानों की तो तारीफ की। मगर, भूपेश बघेल के बयान का समर्थन करते हुए और सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुठभेड़ की सत्यता जनता के सामने आनी चाहिए।
पूर्व CM भूपेश बघेल के बयान पर बीजेपी जमकर हमलावर है। CM विष्णुदेव साय ने कहा कि कांग्रेस ने पहले सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए, अब प्रदेश पुलिस पर शंका कर रहे हैं। बीजेपी ने चैलेंज करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस को घटना फर्जी लगती है तो सुबूत दें। प्रदेश के गृहमंत्री का आरोप है कि कांग्रेस हमेशा की तरह भ्रम फैला रही है। तो कुल जमा सार ये कि ऐतिहासिक ऑपरेशन के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे से सुबूत मांगे हैं। ये वक्त चुनावी है, जबकि छोटी से छोटी बात का बड़ा मुद्दा बनता है। इस दौर में ना दावे और आरोप नए नहीं हैं। लेकिन, कुछ तो ऐसे विषय हैं जिन्हें सियासत से दूर रखना चाहिए। नक्सलवाद, पुलिस एक्शन, प्रदेश सुरक्षा क्या इन्हें सियासत से दूर नहीं रखा जा सकता?