रायपुर। CG News: रायपुर में हुए बैठक में डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने उन राजनीतिक केसों की समीक्षा की जो कांग्रेस राज में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर दर्ज हुए। नई सरकार का मानना है कि, कांग्रेस सरकार ने दुर्भावना पूर्ण ढंग से जो केस थोपे थे, उनको हटाना जरूरी है। हालांकि ये पहली बार नहीं है न किसी एक सरकार का कदम है। बल्कि अब तो ये दस्तूर सा बन चुका कि जैसे ही नई सरकार आती है। पुरानी सरकार के दौर के राजनीति मामलों की समीक्षा कर अपने दल के कार्यकर्ताओं पर दर्ज केसेज खत्म किए जाते हैं। इसे कैसे देखा जाए, क्या ये विशेषाधिकार का बेजा इस्तेमाल है या फिर इस दौर की जरूरी व्यवहारिक व्यवस्था ?
साय कैबिनेट ने बीते दिनों फैसला किया कि, पिछली कांग्रेस सरकार के वक्त बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं पर दर्ज राजनैतिक मामले वापस लिए जाएंगे। बुधवार को प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा ने प्रदेश में पुलिसिंग को लेकर की समीक्षा बैठक में, सभी पुलिस अधीक्षकों को ऐसे मामलों की विवेचना कर रिपोर्ट तैयार करने करने कहा है। दरअसल, कांग्रेस सरकार के वक्त विपक्ष में रहते हुए कई विरोध-प्रदर्शन, धरना, रैली के दौरान बीजेपी नेताओं पर कई केस दर्ज हुए, इनमें अधिकांश सड़क पर बवाल, ट्रैफिक रोकने, पुलिस से झूमाझटकी के मामले हैं, खुद प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा के खिलाफ भी मामला दर्ज है। गृह मंत्री विजय शर्मा का कहना है कि पिछली सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने मामले दर्ज किए, जिसमें से 101 प्रकरण वापस हो चुके हैं बाकि पर विचार चल रहा है।
CG News: इधर, विपक्ष को सरकार का ये कदम रास नहीं आया है, पूर्व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा कि सरकार राजनीतिक मामलों की आड़ में बीजेपी नेताओं पर दर्ज गुंडागर्दी, पुलिसवालों से मारपीट, दुर्व्यवहार, सरकारी संपत्तियों में नुकसान जैसे आपराधिक मामले भी निपटा रही है। विपक्ष ने सवाल उठाया कि क्या साय सरकार पिछली बीजेपी सरकार के 15 साल के दौरान, कांग्रेसियों पर दर्ज मामले भी वापस लेगी। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि केस वापसी गुण-दोष के आधार पर होना चाहिए ना कि पार्टी देखकर। सियासी मामलों की वापिसी को लेकर मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें ऐसे ही सियासी केसेज की समीक्षा होगी। हालांकि ये चलन नया नहीं है पिछली भूपेश सरकार ने भी अपने शासनकाल में अपने नेताओँ पर दर्ज 27 मामले वापस किए थे। सवाल है ऐसे में विपक्ष के आरोप और मांग कितनी जायज है ?