रायपुर: आज नए सीएम विष्णुदेव साय के कार्यकाल का पहला दिन था लिहाजा पूरा दिन व्यस्तता के बीच गुजरा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित कैबिनेट की प्रथम बैठक में राज्य के ग्रामीण अंचल के आवासहीन के लिए अहम फैसला लिया गया। राज्य में 18 लाख 12 हजार 743 जरूरतमंद पविारों को तत्परता से आवास की स्वीकृति देने के साथ ही आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। बैठक में उप मुख्यमंत्री द्वय अरूण साव एवं विजय शर्मा मौजूद थे।
केबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत स्थायी प्रतीक्षा सूची के पात्र शेष परिवारों (6,99,439) एवं आवास प्लस सूची के पात्र परिवारों (8,19,999) की स्वीकृति की जायेगी। योजना के तहत निर्माणाधीन 2,46,215 आवासों को भी शीघ्र पूर्ण कराया जायेगा। राज्य में प्रधामंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत कुल 17,65,653 आवास एवं अन्य 47,090 आवास कुल 18,12,743 जरुरतमंद पात्र परिवारो को तत्परता से स्वीकृति देने के साथ ही आवश्यक धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। बैठक में उप मुख्यमंत्री द्वय अरूण साव और विजय शर्मा भी मौजूद थे।
बहरहाल इन निर्णयों के बीच अब चर्चा विष्णुदेव साय के नए प्रशासनिक टीम की होने लगी है। हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है ही कि सीएम साय किन विधायकों को अपनी टीम में शामिल करेंगे लेकिन इतनी ही दिलचस्पी उनकी नई प्रशासनिक टीम को लेकर भी है। प्रदेश का नया मुख्य सचिव और डीजीपी कौन होगा लोगों को यह जानने की उत्सुकता है।
बात करें पुलिस विभाग की तो इस डिपार्टमेंट में सबसे ज्यादा बदलाव संभव है। बताया जा रहा है कि सीएम साय अपने विश्वस पुलिस अधिकारियों में शामिल रहे राहुल भगत को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि भगत सीएम साय के पीएस भी रह चुके है। तब विष्णुदेव साय केंद्रीय मंत्री हुआ करते थे। जाहिर है साथ काम करने की वजह से उनकी भगत के साथ ट्यूनिंग और अफसरों की अपेक्षा बेहतर है।
इसी तरह कांग्रेस की सरकार में लूप लाइन में रहे आईपीएस हिमांशु गुप्ता को भी बड़ी जिम्मेदारी मिलने के आसार है। वह भूपेश सरकार के दौरान मुख्यालय में तैनात कर दिए गए थे। इसी तरह एसआरपी कल्लूरी, विवेकानंद सिन्हा, प्रदीप गुप्ता भी डॉ रमन सिंह के सरकार में विश्वस्त पुलिस अफसरों में शुमार रहे इसलिए कहा जा रहा है कि सभी अफसरों के कमान में बदलाव संभव है। बताया जा रहा है कि नए साल में ही एक दर्जन से ज्यादा जिलों के एसपी और संभागो के आईजी बदले जा सकते है। मंत्रिमंडल के गठन के बाद सबसे पहले फैसला ट्रांसफर, पोस्टिंग पर ही संभव है। चुनाव से पहले तक भाजपा ने कई अफसरों पर आरोप भी लगाए थे। उनपर सरकार के इशारे पर काम करने के आरोप लगे थे। ऐसे में उनके भी लूप लाइन में जाने की आशंका है।