CG Ki Baat: रायपुर। नवरात्रि यानि शक्ति आराधना का पर्व, व्रत-उपवास के साथ-साथ सांझ ढलते ही गरबे का आयोजन होना है। भक्ति-आस्था-आराधना से जुड़े आयोजन को लेकर विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत आधा दर्जन हिंदूवादी संगठन इस बात को लेकर मुखर हैं कि गरबा आयोजनों में फूहड़ता, अश्लीलता, नशा, लव जिहाद और विधर्मियों को दूर रखने कड़े नियमों और उनका सख्ती से पालन जरूरी है। संत समाज समेत हिंदू संगठनों की ये खुली चेतावनी भी है कि अगर जिला-पुलिस प्रशासन उचित व्यवस्था नहीं देता तो हिंदू संगठन उग्र प्रदर्शन को तैयार हैं।
बस 3 दिन और फिर देशभर में शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होंगे। साथ ही व्रत,भक्ति-श्रद्धा से जुड़े गरबे की शुरूआत होगी। हिंदू संगठन गरबे के इन्हीं आयोजनों को लेकर बेहद चिंतित हैं। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत आधा दर्जन हिंदू संगठनों ने गरबा आयोजन पंडालों में फूहड़ता, अश्लील गानों पर गरबा और गरबे की आड़ में होने वाले नशे के कारोबार के सख्त कदम उठाने को लेकर प्रशासन से मांग की है। हिंदू संगठनों का सबसे बड़ा विरोध है गरबे में गैर हिंदुओं, खासकर मुस्लिम और ईसाई धर्म वालों के प्रवेश को लेकर।
आरोप हैं कि मुस्लिम युवा, बाउंसर बनकर गरबा आयोजनों में शामिल होते हैं। फिर नवरात्रि को लवरात्रि एजेंडे के तौर पर इस्तेमाल करते हुए लव जिहाद तक करते हैं। इसे रोकने हिंदू संगठनों की मांग है कि, अब से हर गरबा स्थल पर आधार कार्ड देखकर प्रवेश दिया जाए। गरबा स्थल पर गौमूत्र और गंगाजल का छिड़काव किया जाए। महिलाओं को भड़काऊ कपड़े पहनने पर मनाही हो। हिंदू संगठनों ने ऐसी व्यवस्था ना होने पर इस बार खुद निपट लेने की चेतावनी दे है।
बजरंग दल समेत हिंदूवादी संगठनों की इस चेतावनी या धमकी पर सियासी प्रतिक्रिया भी आने लगी है। क्योंकि रायपुर समेत प्रदेश के कई शहरों में प्रतिष्ठित गरबा आयोजन, भाजपा से जुड़े नेता करते आए हैं। दूसरी तरफ विपक्षी दल कांग्रेस ने इन शर्तों और चेतावनों को लेकर तीखा पलटवार किया है। आस्था, भक्ति, श्रद्धा ये सब बेहद निजी और भावनात्मक मुद्दे हैं, जिसमें जाना, ना जाना, कैसे जाना, किसके साथ जाना ये सब निजी च्वाइस हो सकती है। लेकिन, ये भी सौफीसदी सही है कि जब आस्था के नाम होने वाले बड़े बड़े सार्वजनिक आयोजनों के दौरान आश्लीलता, फूहड़ता और लवजिहाद जैसे मामले भी हुए हैं।ऐसे में कुछ कड़े नियम बनाने और उनका पालन तय करनें में क्या किसी को कोई आपत्ति होनी चाहिए ? एक सवाल ये भी क्या इस तरह की मांग पर ध्रवीकरण के जरिए कोई पॉलिटिकल लाभ लेने की मंशा है?