रायपुर। CG Ki Baat: सरकारों के बदलने पर योजनाओँ, संस्थाओँ, जगहों के नाम बदलना नयी बात नहीं है लेकिन क्या इसका खामियाजा नौनिहालों को उठाना पड़ रहा है ? दरअसल, ये सवाल उठाया है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने, पूर्व CM का आरोप है कि मौजूदा सरकार के शासनकाल में कांग्रेस सरकार के वक्त बच्चों को उच्चगुणवत्ता वाले इंग्लिश मीडियम स्कूल में सस्ते में पढ़ने की व्यवस्था देने वाले स्वामी आत्मानंद स्कूलों का फंड बीजेपी सरकार ने जानबूझकर रोका ताकि वो बंद हो जाएं। कांग्रेस का आरोप है कि आज प्रदेशभर के आत्मानंद स्कूलों की बदहाली के पीछे भाजपा की बदनीयती है। सवाल है क्या विपक्ष के आरोप सही हैं, क्या है मौजूदा दौर में आत्मानंद स्कूलों का वास्तविक हाल, कौन है उसका जम्मेदार ?
छत्तीसगढ़ के सर्वमान्य संत स्वामी आत्मानंद जी का नाम हटाकर पीएमश्री करने को आप उन्न्यन कहते हैं विष्णुदेव साय जी? आपके इस कथित उन्नयन के बाद शानदार चल रहे स्कूलों में चॉक और डस्टर तक उपलब्ध नहीं हैं , सच कहें तो आपकी सरकार को ग़रीब बच्चों से अच्छी शिक्षा का हक छीन लेने के लिए याद रखा जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार पर स्कूली शिक्षा को लेकर ये बड़ा हमला बोला पूर्व CM भूपेश बघेल ने, भूपेश ने छत्तीसगढ़ सरकार के शिक्षा में नवाचार का दावा करने वाले विज्ञापन पर कटाक्ष करते हुए, प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाया कि सियासी ज़िद के चलते जानबूझकर पिछळी कांग्रेस सरकार के वक्त खोले गए स्वामी आत्मानंद स्कूलों का फंड रोककर दुर्दशा की जा रही है जिसका सीधा-सीधा खामियाजा प्रदेश के गरीब तबके के बच्चों को उठाना पड़ रहा है।
CG Ki Baat: पूर्व CM के आरोप पर जवाब दिया भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने, कहा कि भूपेश बघेल को अशुभ बोलने की आदत पड़ गई है। अग्रवाल ने दावा किया कि कांग्रेस के समय के बदहाल स्कूलों का बीजेपी सरकार ही उद्धार करेगी। विपक्ष ने भाजपा सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सरकार की बनाई योजना में कोई खामी है तो उसे सुधारना चाहिए, ना कि स्कूलों को ऐसे निराश्रित छोड़ना था। दरअसल,स्वामी आत्मानंद स्कूल्स पिछली कांग्रेस सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजक्टेस में से एक है। प्रदेशभर के 751 स्वामी आत्मानंद स्कूलों को हर साल 37.55 करोड़ का फंड मिलना था लेकिन इस साल केवल 5.93 करोड़ का फंड ही जारी हुआ, नतीजा ये कि, रायपुर जिले के 36 स्कूलों समेत प्रदेश के सभी 751 स्कूल वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। हालात ये हैं कि स्कूलों को बिजली बिल, सफाई और कुर्सी-बेंच जैसी बुनियादी चीजों के लिए भी उधार लेना पड़ रहा है।
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