CG Ki Baat: रायपुर। कांग्रेस की सुई लॉ एंड ऑर्डर पर आकर अटक गई है, अब इस मामले में बैज ने सीधे सीएम को खुली बहस की चुनौती दी है। वहीं, सीएम ने इसे कबूल करते हुए कह दिया कि वो पहले गृहमंत्री से डिबेट कर लें। वहीं, सरकार के दूसरे सदस्यों ने भी बैज पर तगड़ा हमला बोला है। सवाल ये है कि इस चैलेंज के मायने क्या हैं? क्या 5 दिनों की न्याय यात्रा के बाद भी कांग्रेस को कुछ खास मायलेज नहीं मिला जो उसे खुली डिबेट का चैलेंज करना पड़ा? क्या बहस की चुनौती पेश कर बैज खुद को सीएम साय के सामने खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं? या वो अपने पार्टी जनों को ये साबित करना चाहते हैं कि उनके अंदर पर्याप्त आक्रामकता है?
छत्तीसगढ़ में खराब लॉ-एंड-आर्डर के बहाने कांग्रेस के हाथ एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर वो प्रदेश सरकार को हर स्तर पर घेरने का एक भी मौका नहीं चूकता। बलौदाबाजार अग्निकांड, कवर्धा घटनाक्रम जैसे बड़े कांड के साथ-साथ, चोरी-लूट-नकबजनी के अलावा, बढ़ती चाकूबाजी की घटनाओं को सामने रख, कांग्रेस लगातार साय सरकार को निशाने पर लेती रही है। 2 अक्टूबर को राजधानी में, लॉ-एंड-आर्डर के निकाली गई छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा के समापन के दौरान, PCC चीफ दीपक बैज ने सीधे-सीधे प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को आंकड़ों के साथ बहस की खुली चुनौती दे डाली।
बैज की चुनौती पर प्रदेश के मुखिया ने पलटवार में देर ना की और कहा कि, पहले वो प्रदेश के गृहमंत्री से बात करें तो बीजेपी सरकार के कद्दावर मंत्री केदार कश्यप ने दीपक बैज को बुझा चिराग कहकर उनके आरोपों के सिरे से खारिज कर दिया। कुल मिलाकर प्रदेश कांग्रेस, साय सरकार के खिलाफ सबसे कानून व्यवस्था को सबसे बड़ा हथियार बनाना चाहती है। बैज ने भी आंकड़ों के साथ खुली डिबेट की बात कहकर मुद्दे को गर्माए रखने के प्रयास किया। लेकिन, सवाल ये है कि लगातार दो-दो चुनाव हारने के बाद क्या PCC चीफ दीपक बैज और कांग्रेस केवल इस एक मुद्दे के सहारे सरकार के घेरना चाहती है, उससे भी बड़ा सवाल ये कि क्या वाकई प्रदेश की कानून व्यवस्था इतनी गंभीर है जिसे लेकर बड़ा जन-आंदोलन छेड़ा जाए..?