रायपुर।CG Ki Baat: प्रदेश में लैंड माफिया के कारनामों की गूंज विधानसभा के सदन तक सुनाई पड़ रही है। शीत सत्र में बीते दो दिनों से लैंड माफिया और जमीन कब्जे का मुद्दा सियासी पटल पर छाया हुआ है। इसे लेकर विपक्ष से ज्यादा सत्ता पक्ष के विधायक मुखर हैं। सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने सवाल उठाया है कि जमीनों की बंदरबांट पर खेल कब रुकेगा, जमीनों की हेर-फेर करने वाले कब धरे जाएंगे, इसे संरक्षण देने वालों पर जांच की आंच कब पहुंचेगी ?
छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीत सत्र में धान के बाद पिछले 2 दिनों से सरकार पर अगर सबसे बड़े हमले किसी विषय पर बोले गए तो वो हैं जमीनों पर अवैध कब्जा, जमीनों की बंदरबांट और अवैध प्लॉटिंग का बेधड़क खेल, अहम बात ये कि सरकार पर, विभागीय मंत्री पर गंभीर आरोप लगाने वाले विपक्षी विधायक नहीं बल्कि सत्तापक्ष के ही सदस्य हैं। शीत सत्र के दूसरे दिन, मंगलवार को बीजेपी विधायक अनुज शर्मा ने ध्यानाकर्षण के दौरान अवैध प्लॉटिंग के मुद्दे पर आरोप लगाया। शर्मा ने सदन में कहा कि धरसींवा में 2021 से 23 के स्कूल, चारागाह, नहर यहां तक की सरकारी जमीन पर भी अवैध प्लाटिंग हुई, जिस पर अबतक कोई एक्शन नहीं हुआ, इससे पहले सोमवार को बीजेपी विधायक सुशांत शुक्ला ने भी पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सरकार के संरक्षण में अवैध प्लाटिंग का गंभीर आरोप लगाया। सवाल पर अपनी ही सरकार में मंत्रीजी के जवाब को अधूरा बताते हुए यहां तक कहा कि भूपेश सरकार के वक्त ‘उड़ता पंजाब’ की तरह ‘उड़ती जमीनों’ की श्रृंखला चली है। हालांकि इन गंभीर आरोपों पर सरकार की तरफ से जांच और कड़ी कार्रवाई का तर्क दिया जा रहा है तो विपक्ष इसे सरकार का अकर्मण्यता बताते हुए हमलावर है।
CG Ki Baat: वैसे जमीनों की हेर-फेर, कब्जे और बंदरबांट का खेल नया नहीं है। पिछली कांग्रेस सरकार के वक्त विपक्ष में रही बीजेपी का बड़ा और गंभीर आरोप रहा है कि सरकार के संरक्षण में दिग्गज नेताओं के करीबी निजी और सरकारी जमीनों तक पर अवैध कब्जा कर बड़ा नेक्सस चला रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि अब बीजेपी सरकार बने एक साल के बाद भी क्या ये अवैध खेल रुका नहीं है, अगर नहीं तो अब इसका जिम्मेदार कौन है ?