CG Ki Baat: रायपुर। कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी रायपुर के बाद अब बिलासपुर में मंथन कर रही है। लोकसभावार नेताओं, कार्यकर्ताओं, जन प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों से बात कर हार के कारणों की तलाश जारी है। शनिवार को बिलासपुर संभाग के पांच लोकसभा क्षेत्रों की बारी थी। नेताओं ने जमकर आपसी खींचतान की पोल खोली है, लेकिन बाहर खुलकर कोई भी बोलने से बच रहा है। खुद समीक्षा कमेटी के अध्यक्ष वीरप्पा मोइली कह चुके है कि ये एक्सरसाइज पार्टी के लिए है, भीतर की बाते हैं, रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी।
बीजेपी ने कवायद पर फिर सवाल उठाया तो कांग्रेस ने तंज कसते हुए बीजेपी को अपने हिसाब से आईना दिखाया। सबसे बड़ा सवाल ये कि इस पूरी कवायद का असक क्या होगा? क्या ये महज औपचारिकता और गुबार बाहर लाने का साधन मात्र है ? या इसकी फाइंडिंग पर आगे एक्शन भी होगा ?
शुक्रवार को कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की बैठक छत्तीगढ़ में कांग्रेस की हार की समीक्षा करने पहुंच चुकी है। राजीव भवन, रायपुर में रायपुर-महासमुंद सीटों पर हार की समीक्षा के बाद, टीम बिलासपुर पहुंची है, जहां 5 सीटों की समीक्षा जारी है। सबको इंतजार है कि कमेटी का निष्कर्ष क्या होता है? लेकिन, फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के अध्यक्ष वीरप्पा मोइली ने साफ कर दिया है कि इस पूरी एक्सरसाइज से बनी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। रिपोर्ट सीधे AICC को सौंपी जाएगी। अगर AICC चाहेगी तो रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी।
समीक्षा के लिए कमेटी, हारे प्रत्याशियों, लोकसभा स्तर के कार्यकर्ता, प्रदेश स्तर के बड़े नेताओं से वन-टू-वन बात कर रही है। मोइली का बताया कि इस दौर में भी कोरबा में मिली जीत का पाठ सभी को पढ़ाया जाएगा। वहां अपनाई रणनीति का पालन आने वाले चुनाव में अन्य सीटों पर होगा। सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सीधे बातचीत हुई है। इस दौरान मोइली देश में INDIA गठबंधन के प्रदर्शन से उत्साहित दिखे। उन्होंने बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत, 400 पार के नारे पर तंज कसा।
CG Ki Baat: इधऱ, कांग्रेसी खेमे में हार की समीक्षा पर बीजेपी ने फिर चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस को जनता नकार चुकी है, अब तो बस हार का ठीकरा फोड़ने, सिर किसका हो, इसकी तलाश है। साफ है कि कांग्रेस पहले विधानसभा और अब लोकसभा चुनाव में हार की वजहें ढूंढ रही है, इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक हो ना हो लेकिन कांग्रेसी खेमे में नेताओं की आपसी खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप पार्टी के भीतरी हालात का इशारा दे रहे हैं। समीक्षा बैठक के पहले ही दिन पूर्व मंत्री और बस्तर प्रत्य़ाशी रहे कवासी लखमा पार्टी की हार के लिए बड़े नेताओं की भूमिका और गुटबाजी पर सवाल उठा चुके हैं। सवाल है क्या कांग्रेस समीक्षा से निकले सबक पर अमल कर पाएगी, क्या अगले चुनाव तक पार्टी हार से उबर कर दरदार वापसी का रास्ता ढूंढ पाएगी?