CG Ki Baat: रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बने तकरीबन 8 महीने हो चुके हैं। डबल इंजन और मोदी की गारंटी के साथ इस सरकार ने सुशासन को अपनी USP बताया। लेकिन, प्रदेश बीजेपी के कुछ नेता और पदाधिकारी पार्टी की इस इमेज को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। बीते कुछ दिनों में ही चंद बीजेपी नेताओं पर सत्ता का ऐसा रंग चढ़ा है कि वो प्रशासनिक अफसरों को खुलेआम धमकी देने से बाज नहीं आ रहे हैं। बदसलूकी, बद्जुबानी यहां तक की गाली-गलौज तक के मामले सामने आए।
जाहिर है जब-जब ऐसे मामले वायरल होते हैं पार्टी अहसहज होती है। पार्टी ने कुछ मामलों में एक्शन भी लिया है। लेकिन, विपक्ष का खुला आरोप है सत्ता के मद में बीजेपी नेता सारी हदें पार कर रहे हैं। सवाल है क्या ऐसे मामले बीजेपी सरकार की सुशासन वाली छवि को धूमिल कर रहे हैं, उससे भी बड़ा सवाल ये क्या सत्ता के साइड इफेक्ट को बीजेपी वक्त रहते अनुशासन के डंडे से रोक पाएगी? इन सभी मामलों में धमकाते, दबाव बनाते, गाली-गलौच करते दिख रहे लोगों में एक बात कॉमन है, वो ये कि ये सभी सत्तासीन दल भाजपा से जुड़े हैं।
अभनपुर में बीजेपी विधायक इंदर साहू, अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहते नजर आए कि अगर अधिकारी-कर्मचारी काम ना करें तो उसे उल्टा लटका दूंगा। वहीं साजा से भाजपा विधायक ईश्वर साहू के विधायक प्रतिनिधि के थाने में घुसकर पुलिस कर्मियों से गाली-गलौज करने और उन्हें धमकाने की शिकायत मिली। तीसरा मामला कवर्धा के पिपरिया का, जहां भाजपा सांसद प्रतिनिधि शराब दुकान कर्मचारियों से गाली-गलौज करते नजर आए। तो बीजापुर में भाजपा नेता अजय सिंह और दो कदम आगे निकलते दिखे उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर अनुराग पांडे को ठेका संबंधित मामले पर खुले तौर पर धमकी दे दी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
मामले ने इतना तूल पकड़ा कि पार्टी ने भी इस पर संज्ञान लिया और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने अजय सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। वहीं, साजा के विधायक प्रतिनिधि के धमकाने-चमकाने वाले मामले में उन्हें जेल भेजा जा चुका है। सुशासन के नारे के साथ सत्तासीन बीजेपी शासनकाल हो रही इन सभी घटनाओं पर विपक्ष आक्रामक मोड में वार कर रहा है। पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू ने कहा कि बीजेपी नेता दंभ में हैं, वो अधिकारी-कर्मचारियों को नौकर समझते हैं। हालांकि, बीजेपी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि कभी-कभार एक्का-दुक्का ऐसे मामले सामने आते ही, जिसपर पार्टी ने संज्ञान लेकर एक्शन लिया।
वैसे ये बात पूरी तरह सच है कि पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी विधायकों, पार्टी पदाधिकारिओं पर निरंकुश होने के आरोप लग चुके हैं। तत्कालीन कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह ने एक बैंक कर्मचारियों को थप्पड़ मारा था जिसपर बवाल हुआ। तत्कालीन कसडोल विधायक शकुंतला साहू और सीनियर IPS के बीच तीखी बहस भी सुर्खियों में रही थी। वहीं, बिलासपुर में युवा कांग्रेस पदाधिकारी के किसान को जान से मारने की धमकी देने का मामला भी तूल पकड़ा था। यानि जो भी पार्टी सत्ता में होती है उसके जनप्रतिनिधियों-पदाधिकारियों पर ऐसे आरोप सामने आते रहे हैं, जिससे पार्टियों की सुशासन और जनसेवक वाली इमेज को धक्का लगता है।
सवाल ये है कि इसकी वजह क्या है, सत्ता का मद, सार्वजनिक तौर पर अपना रौब झाड़ने की चूक या जनहित की फिक्र ? वैसे, ताजा मामलों में ऐसे प्रकरणों पर एक्शन लेकर मैसेज दिया है कि पार्टी ऐसे कृत्य बर्दाश्त नहीं करेगी, पर सवाल है क्या इससे ऐसी घटनाओं पर रोक लग पाएगी ?