Bhupesh Sarkar Khelbo Jeetbo Gadhbo Nava Chhattisgarh: रायपुर। छत्तीसगढ़ में खेलों के लिए बेहतर हो रहे माहौल का ही असर है कि यहां पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों के बड़े आयोजन होने लगे हैं। रायपुर में जब पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट, शंतरज और बैडमिंटन की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई तो इससे न केवल छत्तीसगढ़ की एक सकारात्मक छवि पूरे विश्व में निर्मित हुई, बल्कि यहां की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान एवं प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में भी ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानने का मौका मिला। छत्तीसगढ़ की माटी में खुशबू में समाहित लोक कला एवं संस्कृतियों के साथ भूपेश सरकार छत्तीसगढ़िया खेलों को भी आगे बढ़ाने का काम कर रही है। इससे छत्तीसगढ़ भी खेल की दुनिया में छा जाने को पूरी तरह से तैयार हो गया है। यहां पर हो रहे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों के साथ ही पारंपरिक खेलों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजनों से प्रदेश की एक नई पहचान बनी है।
सीएम भूपेश बघेल का छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल को आरंभ करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में स्थानीय और पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना है। साथ ही राज्य में छिपी खेल प्रतिभा को उजागर करना है। इस ओलंपिक खेल में ग्रामीण एवं शहरी इलाकों के सभी आयु वर्ग के नागरिक हिस्सा ले सकेंगें। यह खेल आयोजन राज्य में छिपी हुई खेल प्रतिभा को खेल के मैदान तक लाने में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान देगा। जिसके माध्यम से राज्य के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान हो सकेगी और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं के लिए तैयार किया जा सकेगा।
भूपेश सरकार की विशेष पहल से गांव, नगर और कस्बों में खेलों को लेकर उत्साहजनक वातावरण तैयार हुआ है। छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार जिस तरह से छत्तीसगढ़ी परंपरा विरासत और संस्कृति के संरक्षण का प्रयास कर रही है। उसी तरह हमारे ग्रामीण अंचलों की गलियों में खेले जाने वाले पारंपरिक खेलों को भी सहेज रही हैं। लोग अपने पुराने दिनों की यादों को ताजा कर रहे हैं। भूपेश सरकार ने इस आयोजन के माध्यम से ऐसे लोगों को अपना खेल हुनर दिखाने का अवसर दिया है, जो खुद की खेल प्रतिभा से अंजान थे।
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक केवल खेल नहीं यह है हमारे छत्तीसगढ़ के युवक-युवतियों की पहचान है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में पारंपरिक खेलों का विशेष महत्व है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के इन खेलों को लोग भूलते जा रहे थे। लेकिन सीएम भूपेश बघेल की पहल से खेलों को चिरस्थायी रखने, आने वाली पीढ़ी से इनको अवगत कराने के लिए छत्तीसगढ़ियां ओलंपिक खेलों की शुरूआत की गई है। वहीं सीएम भूपेश बघेल और युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल के निर्देशन में नई खेल अकादमियों का निर्माण, नए खेल मैदान का निर्माण एवं उन्नयन, खिलाड़ियों को मिल रही बेहतर सुविधाओं ने खेलों के लिए एक बेहतर माहौल को तैयार किया है।
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए ही भूपेश सरकार छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शरुआत की, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग बढ़-चढ़ के शामिल हो रहे हैं। क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, क्या महिलाएं सभी का अपनी लोक संस्कृति में रचे-बसे पारंपरिक खेलों में भाग लेने को लेकर उत्साह देखते ही बनता है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन पहली बार इसी मंशा से किया गया, जिसमें भारी जनसमर्थन देखने को मिला। इनमें ऐसी महिलाएं भी शामिल हैं, जो शादी के बाद ससुराल चली गई उन्हें भी अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका इस ओलंपिक ने दिया है। ये महिलाएं विभिन्न स्तरों पर आयोजित प्रतियोगिताओं में अप्रत्याशित रूप से विजेता बनकर उभरीं हैं। शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा को साबित करने का मौका मिला है। ओलंपिक खेल के इस आयोजन में राज्य स्तरीय स्पर्धाओं में अपनी जौहर दिखा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार जिस तरह से छत्तीसगढ़ी परंपरा विरासत और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को सहेजने में लगी है। उसी तरह से प्रदेश के पारंपरिक खेल कंचा, भंवरा, कबड्डी, खो-खो, लंगडी दौड़, 100 मीटर दौड़, कुर्सी दौड़, पिट्ठुल, गेड़ी दौड़, बिल्लस फुगड़ी, गिल्ली डंडा, लंबी कूद जैसे पारंपरिक खेलों को भी बचाए रखने के लिए प्रयासरत है।
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक प्रतियोगिता खिलाड़ियों के लिए खेलों में आगे कैरियर बनाने के लिए नया रास्ता भी बन रहा है। भूपेश सरकार द्वारा अपने प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी दोनों इलाकों के लोगों के लिए इस साल छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल 2023 का आयोजन करने का निर्णय लिया गया है।
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Bhupesh Sarkar Khelbo Jeetbo Gadhbo Nava Chhattisgarh: इस आयोजित छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक में दलीय श्रेणी में गिल्ली डंडा, पिट्टूल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी और बांटी (कंचा) जैसी खेल विधाएं शामिल की गई हैं। वहीं एकल श्रेणी की खेल विधा में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़, लम्बी कूद, रस्सी कूद एवं कुश्ती को शामिल किया गया।
इस तरह एकल एवं दलीय श्रेणी को मिलाकर कुल 16 तरह के खेल प्रतियोगिता आयोजित किया गया। आयोजित खेल में जब घरेलु काम में उलझी महिलाएं गेंड़ी, लंगड़ी दौड़, फुगड़ी, रस्साकसी और अन्य खेल प्रतियोगिताओं में खेलते हुए नजर आई तो लोगों ने भी उनकी खूब हौसला अफजाई की।
इस ओलंपिक खेल में भाग लेने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को कोच राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया गया, जिससे प्रतिभाशाली एथलीटों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल में अपना कैरियर बढ़ाने का एक सुनहरा मौक़ा मिल सके। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का मुख्य लक्ष्य यही है कि इसके माध्यम से प्रदेश में छिपी खेल प्रतिभा को बढ़ावा दिया जा सके। इसके अलावा राज्य में खेलों के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जा सके।